JAMSHEDPUR: शनिवार को गोलमुरी में दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने मिलेनियल्स स्पीक के तहत राजनी-टी का आयोजन किया गया। इसमें हो समाज के युवाओं ने चाय की चुस्कियों के साथ 'नोटबंदी बंदी रही कितनी सफल, क्या यह चुनावी मुद्दा रहेगी?' विषय पर अपने विचार रखे। चर्चा के दौरान किसी ने नोटबंदी के फायदे गिनाए, तो किसी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना। चर्चा की शुरुआत करते हुए निकिता ने कहा नोटबंदी सरकार का साहसिक फैसला था, इससे बहुत हद तक कालाधन तथा आतंकवाद पर लगाम लगा है। बड़े फैसलों में लोगों को थोड़ी परेशानी तो होती है। देश हित में इस फैसले का समर्थन ज्यादातर मिलेनिल्स ने किया। कहा कि सरकार की यह अच्छी कोशिश थी। दिनकर कच्छप ने कहा नोटबंदी के चलते देश के युवा काफी परेशान हुए हैं, यह सरकार की असफल नीति है। युवाओं ने अपनी राय देते हुए कहा कि नोटबंदी करने से पहले सरकार को पूरी तैयारी करके ही नोटबंदी करनी चाहिए थी। संगीता सामढ़ ने कहा यह इस सरकार का साहसिक फैसला था, इससे काफी हद तक काला धन तथा नकली नोटों का कारोबार रोकने में सरकार कामयाब रही है। हो समाज के युवाओं ने चर्चा में नोटबंदी के दौरान हुई समस्याओं का जिक्र किया। लोगों ने कहा नोटबंदी का फैसला जरूरी था, लेकिन सरकार अगर व्यापारियों पर नजर रखती तो फायदा मिलता है। युवाओं ने कहा नोटबंदी से सरकार लाभ मिल सकता है।
आतंकवादियों की फंडिंग कम
सूरा बिरुली ने कहा नोटबंदी के चलते प्रदेश में नक्सली गतिविधियों में कमी हुई हैं। पैसा न होने के चलते नक्सलवादी संगठन कमजोर होते जा रहे है। जिससे पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को सफलता मिल रही है। सरकार ने भी सरेंडर नीति के तहत नक्सली लोगों को सुधरने का मौका दिया जा रहा है। पुरानी मुद्रा के बंद होने से दूसरे देश के माध्यम से छप कर आने वाली करेंसी पर भी रोक लगी है। वहीं रमेश मुखी ने बताया कि नोटबंदी से नक्सलवाद कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हो गया है, कहा कि आज भी सीमा पर आतंकवादियों की फंडिंग हो रही है। जिससे हमेशा आतंकवादी हमले के बारे में सुनने को मिलता ही है।
काम आये जनधन खाते
मौसो सोय ने कहा नोटबंदी के पहले सरकार ने एक स्कीम निकालकर बिना बैंक खाते के जी रहे लोगों के एक-एक बैंक खाते खोले गये। इन खातों का मकसद सरकार को देश के सभी लेागों को सामान अवसर देकर सरकारी योजना से जोड़ना था। नोटबंदी के दौरान इन खातों की मदद से लोगों ने पैसे चेंज करने का काम किया। नोटबंदी से सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना रही है किसी भी व्यवस्था को स्थापित करने में दिक्कत होना स्वाभाविक है। इस बात को लेागों को समझना चाहिये
कमजोर हुई अर्थव्यवस्था
राहुल ने कहा नोटबंदी का प्रभाव सबसे ज्यादा कारोबार पर पड़ा जिससे कारोबार बहुत मंद हो गया था। अर्थ व्यवस्था भी काफी चरमरा गई थी। अब कारोबार फिर से खड़ा हो रहा है। जिससे एक बार फिर से लाखों की संख्या में मजदूरों को काम मिल रहा है। नोटबंदी के समय सरकार ने लोगो को परेशानी नही हो इसके लिए सरकार ने हर दिन चार हजार रुपये की चेंज की व्यवस्था की जो सराहनीय कदम रहा था। संगीता ने कहा नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य नकली नोटों पर लगाम तथा कालाधन को खत्म करना था, इसमें सरकार कामयाब हुई, पर जैसा नोटबंदी के समय बोला गया था, वैसा नही हुआ, नोटबंदी के दौरान एक चीज अच्छी हो गई, की देश में डिजिटल लेनदेन की बढ़ोतरी हुई। इसमें सरकार का सराहनीय योगदान रहा।
नहीं आया काला धन
इस बोलते हुए दिनकर कच्छप ने कहा नोटबंदी का मुख्य कारण था देश से कालाधन का सफाया। इसके लिए देश के युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी अपने ही पैसों के लिए लाइन में लगे, क्योंकि वह देश में कालाधन का खत्म करने के समर्थन में थे, इसका किसी ने विरोध नहीं किया, पर सरकार कालाधन लाने उस हद तक सफल नहीं हुई, जितनी अपेक्षा थी। सावन ने कहा कि सरकार को लोगों से वादा नहीं करना चाहिये था, वहीं लादू देवगम ने कहा कि देश की जनता भी जानती है कि जब काला धन आएगा तब ही सरकार लोगों को पैसा देगी। विदेशों में जमा काला धन देश वापस लाने में सरकार को सराहनी सफलता नहीं मिली है।
मोरा बाद
नोटबंदी सरकार का साहसिक फैसला था। इससे बहुत हद तक कालाधन तथा आतंकवाद पर लगाम लगा है। बड़े फैसलों से कभी-कभी आम लोगों को थोड़ी परेशानी होती है, पर देश हित में इस फैसले का समर्थन देश की जनता ने किया। सरकार की यह अच्छी कोशिश थी।
निकिता सोय
कड़क मुद्दा
नोटबंदी के चलते प्रदेश में नक्सली गतिविधियों में कमी हुई है। पैसा नहीं होने के चलते नक्सलवादी संगठन कमजोर होते जा रहे हैं। इससे पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को सफलता मिल रही है। सरकार ने भी सरेंडर नीति के तहत नक्सली लोगों को सुधरने का मौका दिया जा रहा है।
सूरा बिरूली
नोटबंदी के चलते देश की जनता परेशान हुई, यह सरकार की असफल नीति थी। पहले सरकार को पूरी तैयारी करके ही नोटबंदी की घोषणा करना था।
राहुल हो
यह इस सरकार का साहसिक फैसला था। इससे काफी तक काला धन तथा नकली नोटों का कारोबार रोकने में सरकार कामयाब रही है। नोटबंदी का फैसला जरूरी था, लेकिन सरकार अगर व्यापारियों पर नजर रखती तो फायदा मिलता है
संगीता सामढ़
नोटबंदी देश के लिए काफी जरूरी था, नोटबंदी से कालाधन कम हुआ है। नोटबंदी की वजह से पुरानी मुद्रा के बंद होने से दूसरे देश के माध्यम से छप कर आने वाली करेंसी पर भी रोक लगी है। जिससे देश में आतंकवादियों की फंडिंग कम हुई।
लादू देवगम
नोटबंदी का मुख्य कारण ही था देश से कालाधन का सफाया। इसके लिए देश के युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी अपने ही पैसों के लिए लाइन में लगे, क्योंकि वह देश में कालाधन का खत्म करने के समर्थन में थे, इसका किसी ने विरोध नहीं किया, लेकिन सरकार कालाधन लाने उस हद तक सफल नहीं हुई। नोटबंदी और कालाधन लाने के साथ ही प्रति खाते में 15-15 लाख रुपये देने की योजना पर युवाओं के अंदर गुस्सा है।
दिनकर कच्छप
नोटबंदी से नक्सलवाद कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हो गया है, कहा कि आज भी सीमा पर आतंकवादियों की फंिडग हो रही है। जिससे हमेशा आतंकवादी हमले के बारे में सुनने को मिलता ही है। वही नोटबंदी के पहले सरकार पूरी तैयारी करनी थी, ऐसे फैसले अचानक से नहीं करने चाहिए
रमेश मुखी
नोटबंदी से सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना रही है किसी भी व्यवस्था को स्थापित करने में दिक्कत होना स्वाभाविक है। इस बात को लेागों को समझना चाहिए
सावन करुआ
नोटबंदी का प्रभाव कारोबार पर पड़ा, जिससे कारोबार बहुत मंद हो गया था, पर कारोबार फिर से खड़ा हो रहा है। जिससे एक बार फिर से लाखों की संख्या में मजदूरों को काम मिल रहा यह सराकार का उचित फैसला था।
रामदास करुआ
नोटबंदी के समय सरकार ने लोगो को परेशानी नही हो इसके लिए सरकार ने हर दिन चार हजार रुपये की चेंज की व्यवस्था की जो सराहनीय कदम रहा था। नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य नकली नोटों पर लगाम तथा कालाधन को खत्म करना था, इसमें सरकार कामयाब हुई।
मौसो सोय
नोटबंदी के समय जो बोला गया था, वैसा नहीं हुआ, नोटबंदी के दौरान एक चीज अच्छी हो गई, की देश में डिजिटल लेनदेन की बढ़ोतरी हुई। इसमें सरकार का सराहनीय योगदान रहा।
अमन बंकीरा
नोटबंदी से लोगो कलाधन रखने में अब डर लगा रहता है, नोटबंदी एक अच्छा फैसला था। इसीलिए पूरा देश एटीएम के लाइन में लगा, इसका फायदा भी हमें दिख रहा है।
विजय सोय
सरकार को लोगों से वादा नहीं करना चाहिये था। काला धन नहीं आया। पर फैसला अच्छा था, कुछ हद तक तो कालाधन में कमी आई है, पर जनता परेशान भी हुई थी।
उपेंद्र बांड्रा