JAMSHEDPUR: 10 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले इस अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग को जमशेदपुर के बिष्टुपुर थाने की साइबर अपराध शाखा ने कोलकाता के शाकदारी थाना क्षेत्र के न्यू टाउन संजीवा गार्डेन में छापेमारी कर गिरफ्तार किया है। यह जानकारी पूर्वी सिंहभूम के एसएसपी डा। एम तमिल वानन ने बुधवार को पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि राहुल केसरी साइबर अपराध का प्रशिक्षण भी देता था।
एसएसपी ने बताया कि पुलिस को उसकी तलाश पिछले 11 महीने से थी। उसके खिलाफ थाने में चार मामले दर्ज हैं। वह मानगो के उलीडीह थाना क्षेत्र का निवासी है और मूल रूप से बिहार के आरा जिले के कुल्टी इलाके का रहने वाला है। उसके गिरोह के चार साथी जमशेदपुर जेल में बंद हैं। राहुल केसरी गिरोह का सरगना है और बैंकाक और थाईलैंड की भी यात्रा कर चुका है।
चार अकाउंट फ्रीज
साइबर ठगी में ई-सिम का उपयोग करता था, जो लंदन का है। उन्होंने बताया कि उसके पास से एक लैपटाप, एक टैब, दो मोबाइल, एक पेन ड्राइव, एक पासपोर्ट और चार एटीएम कार्ड जब्त किए गए हैं। 2018 से अब तक उसने 10 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी लोगों से की है। उसके आठ अकाउंट फ्रिज किए गए हैं।
की थी छापेमारी
एसएसपी ने बताया कि राहुल केसरी के साथी महेश पोद्दार के घर से पुलिस ने छापेमारी में बीते वर्ष 13 लाख रुपये बरामद किए थे। विगत सात जनवरी को पुलिस ने जमशेदपुर में राहुल केसरी के साथी छोटा गो¨वदपुर के पटेलनगर निवासी राहुल कुमार मिश्रा को गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर मानगो टीचर कालोनी निवासी धीरज शर्मा और मानगो समतानगर के राकेश महतो पकड़े गए थे। पूछताछ में सरगना राहुल केसरी का नाम सामने आया था। उस समय जानकारी मिली थी कि मानगो के न्यू सुभाष कालोनी ग्रीन फील्ड अपार्टमेंट में गुप्त रूप से कार्यालय संचालित किया जा रहा था और साइबर अपराध को अंजाम दिया जा रहा था।
ऐसे करते थे ठगी
राहुल केसरी ने कई वेबसाइट बना रखी थी। इसमें वह गूगल एवं अन्य एप में विज्ञापन डालकर लोगों को ब्रांडेड कंपनियों के उत्पाद को कम दाम में बेचने का दावा करता था। इससे ग्राहक फंस जाते थे। जब ग्राहक उस पर क्लिक करते थे, तो सीधा राहुल की वेबसाइट से जुड़ जाते थे। ग्राहक आनलाइन पेमेंट कर सामान की खरीदारी करते थे। फिर राहुल देशभर में मौजूद अपने वर्कशाप से नकली सामान पैक करवाता था। उसे ग्राहक के घर पर भेजवा देता था। जब ग्राहक सामान रिसीव करते थे, तो वह शिकायत के लिए कंपनी के कस्टमर केयर में काल करते थे। राहुल उनसे पैसे वापस करने की बात कहते हुए उनसे अकाउंट डिटेल्स, एटीएम कार्ड का नंबर, सीवीवी नंबर, क्यूआर कोड भेजकर और एटीएम कार्ड क्लोन कर रुपये की ठगी कर लेता था। उसने शॉपी पे, ई कामर्स और फर्स्ट कार्ट के नाम से कंपनी बना रखी थी। आनलाइन वेबसाइट पर असली उत्पाद के सामान की फोटो डालकर उसे भारी छूट के साथ बेचने का वादा करता था।
जानें, क्या है ई-सिम
ई-सिम का अर्थ है - 'इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉडयूल.' ई-सिम को फोन में लगाने की जरूरत नहीं होती है। यह एक तरह का चिप है, जो सिम की तरह काम करता है। यह मोबाइल फोन में पहले से लगा होता है। इसे दूसरे मोबाइल फोन में नहीं लगाया जा सकता है। ई-सिम से फिजिकल सिम की तरह सभी काम किए जा सकते हैं।