JAMSHEDPUR: झारखंड के श्रमिक संगठन कोरोना काल के पूर्व से ही राज्य के उधोग-धंधों में आई मंदी को लेकर ¨चतित थे। इधर मंदी व कोरोना की वजह से मजदूरों को अपने काम से हाथ धोना पड़ा है। उधोगों को पटरी पर फिर से लाने के लिए श्रमिक संग्ठनों ने अपने स्तर से भी प्रयास किए जाने का एलान किया है। यह निर्णय रविवार को टिनप्लेट इंटक कार्यालय में आयोजित केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों की संयुक्त मंच की बैठक मे लिया गया.बैठक की अध्यक्षता इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय ने की। इसमें बीएमएस के महासचिव ¨वदेशवर प्रसाद, एटक के महासचिव पीके गांगुली, सीटू के महासचिव प्रकाश विप्लव समेत राज्य के वरिष्ठ ट्रेड यूनियन नेताओं ने शिरकत की। बैठक में केन्द्र सरकार द्वारा 44 श्रम कानूनों को दो फेज में 4 कोड मे बदले जाने की कार्रवाई, सार्वजनिक क्षेत्र के उधमो का निजीकरण और केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों पर विस्तार से चर्चा की गई और इसके खिलाफ संयुक्त रूप से आंदोलन संगठित किए जाने का आह्वान किया गया।

अभियान तेज करने का निर्णय

बैठक मे इस बात पर सहमति बनी कि बिहार सरकार द्वारा वर्ष 2018 मे गैर कानूनी तरीके से झारखंड क्षेत्रांतर्गत 980 युनियनों की मान्यता रद्द किए जाने के खिलाफ जारी अभियान को और तेज किए जाने का निर्णय लिया गया। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पिछले 29 सितंबर को ट्रेड यूनियनों का एक संयुक्त शिष्टमंडल मिला था और उनसे इस मामले मे अविलंब हस्तक्षेप किए जाने की अपील की थी। मुख्यमंत्री ने ट्रेड यूनियनों को स्पष्ट आश्वासन दिया है कि वे इस मामले को जल्द हल करेंगे और उन्होंने उसी समय अपने प्रधान सचिव को इस मुद्दे के निष्पादन के लिए ठोस कार्रवाई किए जाने का आदेश दिया था। लेकिन इस दिशा मे अब तक क्या कार्रवाई की गई इसकी सूचना ट्रेड यूनियनों को नहीं है। ट्रेड यूनियनों ने इस मामले पर सरकार से अविलम्ब कदम उठाने का आग्रह किया है।

एक मंच पर आईं

झारखंड मे एक दशक के बाद सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनें एक साथ एक मंच पर आयी हैं। यह मजदूर आंदोलन के लिए एक सकारात्मक संकेत है। क्योंकि जिस प्रकार मजदूर वर्ग पर शासक वर्ग का हमला बढ़ा है उसका प्रतिरोध संयुक्त और एक जुट श्रमिक आंदोलन से ही किया जा सकता है। इसी क्रम मे आगामी 26 नवंबर को देशव्यापी आम हड़ताल का आह्वान किया गया है। बैठक के एक अलग सत्र में आदित्यपुर-गम्हरिया औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा की गई जिसमें एक प्रमुख बात उभर कर आयी कि जहां टाटा के आटोमोबाइल सेक्टर में अनलॉक -पांच में उत्पादन बढ़ा है वहीं औधोगिक क्षेत्र के इंसिलरी उधोग की हालत में कोई सुधार नहीं आने से इन उद्योगों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। ट्रेड युनियनों ने इस मुद्दे को राज्य सरकार के समक्ष उठाए जाने का निर्णय लिया गया।

मीटिंग में रहे शामिल

इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय, बीएमएस के महासचिव ¨वदेश्वर प्रसाद, एटक के महासचिव पीके गांगुली, सीटू के महासचिव प्रकाश विप्लव, इंटक से रघुनाथ पांडेय, बिनोद कुमार राय इंटक, संजीव कुमार श्रीवास्तव, शैलेश पांडेय, मनोज कुमार सिंह, पर¨बदर सिंह, केएन ओझा, सतनाम सिंह, मून्ना खान, सीटू से केके त्रिपाठी, विश्वजीत देब, विजय कांत लाल दास, एटक से अंबुज कुमार ठाकुर, सपन कुमार घोषाल, बीएमएस से राज कुमार भगत, अभिमन्यु सिंह, अमरेन्द्र कुमार सिंह शामिल हुए।