JAMSHEDPUR:पंजाब नेशनल बैंक से फर्जी कागजात दिखाकर करीब 17 करोड़ रुपये ऋण लेने के मामले में गुरुवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) रांची की टीम ने शहर के कई स्थानों पर छापेमारी की। लेकिन एक भी आरोपी अपने पते पर नहीं मिला। आशंका जाहिर की जा रही है कि आरोपियों ने दूसरा पता दिया होगा या पकड़े जाने के डर से दूसरे पते पर चले गये हो। बताते चले कि फर्जीवाड़े में शामिल सभी आरोपी जमशेदपुर के है। बैंक के मुताबिक मुख्य आरोपी मानगो के सुभाष कालोनी निवासी निर्मल कुमार मिश्रा है। इसके साथ ही एक दर्जन से अधिक लोगों के नाम-पते सूची में हैं। पंजाब नेशनल बैंक ने 20 मार्च 2018 को सीबीआई, रांची में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। जिसकी जांच के लिए दो दिन से सीबीआई की टीम शहर में डेरा जमाये हुए है। टीम ने पंजाब नेशनल बैंक की मानगो शाखा व बिष्टुपुर शाखा में भौतिक सत्यापन कर जांच के लिए निकली थी। लेकिन जांच के दौरान एक भी आरोपित अपने पते पर नहीं मिला। सीबीआइ में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक निर्मल कुमार, जोगिंदर अग्रवाल, विनीत पांडेय, चंदन अग्रवाल, अमरपाल सिंह, चंदन घोष, दीपेश कुमार सेन, अनीश कुमार सिंह, देवजीत बोस, कुलवंत सिंह ने आपराधिक साजिश के तहत जाली परिसंपत्ति दिखाकर पंजाब नेशनल बैंक की बिष्टुपुर शाखा से 10 हाउसिंग लोन के नाम पर तीन करोड़ दो लाख 16 हजार (302.16 लाख) रुपये का ऋण ले लिया। इतना ही नहीं इन्हीं फर्जी कागजातों-परिसंपत्ति के आधार बनाकर आरोपियों ने सात करोड़ रुपये बैंक से ले लिए । इसमें चंदन घोष (मेसर्स दीपक ट्रेडिंग कंपनी), दीपेश कुमार सेन (मेसर्स मुंडेश्वरी एसोसिएट्स), अमरपाल सिंह (सिंह ट्रेडर्स) ने वर्ष 2013 से 2015 के बीच जाली व बनावटी परिसंपत्ति के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक की मानगो व बिष्टुपुर शाखा से तीन कैश क्रेडिट लोन व अचल संपत्ति के एवज में तीन ओवरड्राफ्ट लिमिट के तहत सबसे पहले तीन करोड़ 56 लाख 65 हजार (356.65 लाख) लिया। इसके बाद टुकड़ों-टुकड़ों में अलग-अलग कारण बताकर नौ करोड़ 32 लाख सात हजार (932.07 लाख) रुपये का चूना बैंक को लगा दिया। बैंक जब नोटिस भेजते-भेजते थक गई, तो अंत में मामला सीबीआई को सौंप दिया।
फंस सकते बैंक अधिकारी
पंजाब नेशनल बैंक का यह फर्जीवाड़ा जिस तरह से अंजाम दिया गया है, उसमें बैंक अधिकारी भी फंस सकते हैं। इन्होंने एक बार में पूरा पैसा नहीं निकाला है। फर्जी नाम-पता, फर्जी पैन कार्ड से लेकर परिसंपत्ति तक फर्जी है, तो बिना भौतिक सत्यापन किए बैंक अधिकारी ने इतनी राशि कैसे स्वीकृत कर दी, यह बड़ा सवाल है। स्वाभाविक रूप से सीबीआई 2013-15 के बीच पंजाब नेशनल बैंक की मानगो व बिष्टुपुर शाखा में पदस्थापित उन अधिकारियों की भी जांच व पूछताछ कर रही है, जिनका संबंध इन्हें ऋण या ओवरड्राफ्ट देने में था।