जमशेदपुर (ब्यूरो): जुगसलाई स्थित श्री राजस्थान शिव मंदिर परिसर में संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण संग रुक्मिणी विवाह धूमधाम से मनाया गया। वरमाला की बेला में संगीतकारों ने मंगल भजनों की प्रस्तुति दी। महिलाओं ने नृत्य कर भगवान का विवाह महोत्सव मनाया।

दाम्पत्य जीवन परमात्मा का प्रसाद

कथा के दौरान व्यास पीठ से पंडित विजयशंकर मेहता ने श्रीकृष्ण बाल लीला, मथुरा गमन, कंस वध तथा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह सहित अन्य प्रसंगों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि दाम्पत्य जीवन परमात्मा का प्रसाद है, इसमें प्रवेश करने से पहले मुस्कुराना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी से विवाह के पहले मुस्कुरा कर संकेत दे रहे हैं कि जो खुशी-खुशी दाम्पत्य जीवन में प्रवेश करेगा, वो आगे भी प्रसन्नता से परिवार चलाएगा। उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य में कई बुराइयां होती हैं, उसे छोडऩे और जीवन में सफलता प्राप्त करना है, तो कोई न कोई शुभ संकल्प लेना जरूरी है, क्योंकि बिना संकल्पित हुए जीवन में आप कुछ नहीं कर सकते। परिवार में भरोसे ओर प्रेम की भाषा बोलनी चाहिए।

निष्काम कर्म का उपदेश

पंडित मेहता ने कहा कि श्रीकृष्ण ने निष्काम कर्म का उपदेश दिया और उसे चरितार्थ भी किया। कंस को मारकर उसके पिता उग्रसेन को ही सिंहासन वापस लौटा दिया। अधिक पढऩे की अपेक्षा जीवन में सिद्धांत को उतारने की आवश्यकता अधिक हैं। पाचवें दिन बुधवार को भी पूजा के मुख्य यजमान बीणा-जयराम चौधरी थे। आरती के बाद प्रसाद वितरित किया गया। सिंहभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनन्द मूनका सपत्निक कथा में शामिल हुए और पंडितजी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

इनका रहा योगदान

कार्यक्रम को सफल बनाने में विष्णु, कैलाश, अमित, अनुप समेत चौधरी परिवार के सभी सदस्यों का योगदान रहा। कथा की पूर्णाहुति पर 23 दिसंबर को हवन होगा। कथा के छठवें दिन गुरुवार को पंडित मेहता भगवान श्रीकृष्ण के अन्य विवाह, राजसूय यज्ञ एवं सुदामा चरित्र की व्याख्या करेंगे।