जमशेदपुर (ब्यूरो): जुगसलाई एमई स्कूल रोड स्थित श्री राजस्थान शिव मंदिर परिसर में चल रहे संगीतमयी श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सोमवार को जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजयशंकर मेहता ने व्यास पीठ से जड़ भरत कथा, अजामिल प्रसंग, प्रहलाद, नरसिंह अवतार आदि प्रसंगों की व्याख्या सुमधुर भजनों के साथ की। उन्होंने कहा कि बच्चों को संघर्ष करना सिखाएं.कहा कि संतानें हमारी पूंजी हैं, माता-पिता उन पर नजर रखें तभी उनका जीवन सुधरेगा।
दहेज में आए थे शकुनी और मंथरा
दहेज पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दहेज परिवार और समाज के लिए कलंक है। कहा कि शकुनी ओर मंथरा दहेज में ही आए थे। उन्होंने आगे कहा कि जीवन में भक्त बनना चाहिए। जो भक्त होता है उसकी सारी समस्याओं का समाधान भगवान स्वयं करते हैं। प्रहलाद की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकशिपु का वध किया। भगवान हमें भी बता रहे हैं कि जीवन में जो भी भक्ति करेगा उसके लिए मैं किसी भी अवतार में आ सकता हूं।
भजनों पर भक्तों ने बजाई ताली
कथा से जुड़े प्रसंगों के आधार पर भजनों की प्रस्तुतियां दी गयी। कथा स्थल में उपस्थित श्रोताओं ने भजनों की धुन पर तालियां बजाई। जरा मुस्कुराइएकी धुन पर भजनों की प्रस्तुति पर सभी श्रोताओं ने तालियां बजाकर मुस्कान बिखेरी। पूजा के मुख्य यजमान बिना-जयराम चौधरी थे।
मंगलवार की कथा
कथा के चौथे दिन मंगलवार को गजेंद्र मोक्ष, समुद्र मंथन, वामन अवतार, श्रीराम कथा आदि प्रसंगों की व्याख्या होगी।
इनका रहा योगदान
सोमवार के कार्यक्रम को सफल बनाने में जयराम, नवनीत, रतन, पुरूषोतम, आनन्द, निशी, नेहा, श्वेता, सुरेश, विशाल, मनोहर, बंटी, श्रवण, सुनील, बिल्लू समेत चौधरी परिवार के सभी सदस्यों का योगदान रहा।