JAMSHEDPUR: मानगो-डिमना रोड निवासी व देवघर के पालाझूड़ी प्रखंड में कार्यरत बीडीओ नागेंद्र तिवारी (38) जुगसलाई फाटक के पास ट्रेन से कटकर जान दे दी। हालांकि, नागेंद्र के परिजन इसे हत्या मान पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं। सोमवार की सुबह बीडीओ के रूप में जब नागेंद्र तिवारी की पहचान हुई तो ईस्ट सिंहभूम जिला प्रशासन की पूरी टीम पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गई।
दो माह से थे तनाव में
बीडीओ नागेंद्र तिवारी रविवार की सुबह 10 बजे अपने भाई उमाशंकर के साथ मानगो के डिमना रोड स्थित आवास से निकले थे। उमाशंकर ने उन्हें साकची स्थित जेल चौक छोड़ दिया था। जब देर शाम तक नागेंद्र घर नहीं पहुंचे तो परिजनों ने उनकी खोजबीन शुरू की। उनका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा था। रात में परिजनों ने साकची में सनहा भी दर्ज कराया। रात में ही जब जुगसलाई फाटक के पास शव मिलने की सूचना मिली तो परिजनों को साकची पुलिस ने सूचना दी। रात होने के कारण शव की पहचान नहीं हो पा रही थी। इस कारण शव की पहचान सुबह हुई।
मिल रही थी धमकी
नागेंद्र के भाई सुरेंद्र तिवारी ने बताया कि लगातार मिल रही धमकी से नागेंद्र दो माह से तनाव में थे। करीब 25 दिन पहले छुट्टी लेकर वह घर वापस आ गए। अब वह दोबारा देवघर के पालाझुड़ी प्रखंड नहीं जाना जाते थे। इस बार घर वापस आने पर वे नकारात्मक बात ही किया करते थे। जैसे उनके अंदर डर समाया हुआ हो। कुछ दिन पहले ही पालाझुड़ी प्रखंड में उनको शिकायत मिली थी कि मनरेगा योजनाओं में गड़बड़ी चल रही है। इसके बाद उन्होंने निरीक्षण करना शुरू कर दिया। निरीक्षण से मुखिया, पंचायत सचिव और रोजगार सेवकों में दहशत व्याप्त होने लगी है और उनलोगों ने कई बार इन्हें निरीक्षण नहीं करने को भी कहा था। बीडीओ नागेंद्र तिवारी ने साफ कह दिया था कि वे कोई भी गैरकानूनी काम होने नहीं देंगे।
मुखिया पर धमकी देने का आरोप
बीडीओ का भतीजा सुमित कुमार ने आरोप लगाया कि पालाझुड़ी का मुखिया दाउद आलम चाचा को धमकी देता था। इसके कारण वे तनाव में रहने लगे। रात में वे उनके साथ ही सोते थे। जब वे सोते भी थे तो दाउद का नाम नींद में बड़बड़ाते थे। भतीजा ने बताया कि नागेंद्र तिवारी प्रशासनिक कार्य प्रणाली से भी परेशान थे। धमकी व भ्रष्टाचार की शिकायत भी कई बार नागेंद्र ने संबंधित अधिकारियों से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सुमित ने बताया कि शक है कि चाचा नागेंद्र ने खुदकुशी नहीं की उनकी हत्या की गई है। पुलिस इसकी जांच करे। उन पर बालू माफियाओं व पंचायत के मुखिया का दबाव था। चार साल में कई बार उनका ट्रांसफर हो चुका था। उन्होंने चाईबासा बालू माफियाओं पर अंकुश लगाया तो उनका ट्रांसफर देवघर पालाझुड़ी करा दिया गया था।
कई बच्चों को बनाया था अफसर
चाईबासा का छोटा सा ब्लॉक तांतनगर में नागेंद्र तिवारी ने लाइब्रेरी खोलकर बच्चों को खुद ही पढ़ाना शुरू किया। नेतरहाट में बच्चों का एडमिशन कराया और कई बच्चों को अफसर बना दिया। उनकी मौत की खबर सुनकर पोस्टमार्टम हाउस भी उनके छात्र पहुंचे थे। नागेंद्र तिवारी का जन्म जमशेदपुर में ही हुआ है। नागेंद्र पांच भाई में चौथे नंबर पर था। उन्होंने कई बच्चों को पढ़ाकर अफसर बना दिया। जेल चौक में पानी टंकी के पास एक रूम में वे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे और खुद भी पढ़ा करते थे। ताकि वह अपनी पढ़ाई और अपने भाई बहनों की पढ़ाई पूरी करा सके। लॉकडाउन के दौरान जेल चौक स्थित क्वार्टर बंद कर पूरा परिवार मानगो-डिमना रोड स्थित मकान में रह रहे थे। जुगसलाई थाना प्रभारी ने बताया कि खुदकुशी का मामला दर्ज कर पुलिस मामले की पड़ताल कर रही है।