जमशेदपुर (ब्यूरो): शहर में अपार्टमेंट कल्चर की शुरुआत करने वाले घोड़ाबंधा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के तथ्य समाहित हैं, जिसपर शोध की जरूरत है। किंवदंतियों और लोकमान्यताओं की मानें तो अज्ञातवास के क्रम में महाभारत काल के पांडव इस क्षेत्र में भी आये थे। अंकित आनंद का यह पत्र एएसआई के महानिदेशक और मोन्यूमेंट सेक्शन के निदेशक के अलावे झारखंड सरकार के पर्यटन सचिव और रांची अंचल के पुरातत्वविज्ञानी को संबोधित है। बीजेपी नेता ने जमशेदपुर के उपायुक्त से भी उचित हस्तक्षेप और अनुशंसा का निवेदन किया है।
कई कई मान्यताएं
लिखे गये पत्र में अंकित आनंद ने उल्लेख किया है कि घोड़ाबंधा का नामांकन वहां के उन चट्टानों के कारण किया गया है, जो देखने में खूंटे से बंधे घोड़े की तरह लगते हैं। मान्यताओं एवं प्रचलित किंवदंतियों की मानें तो चट्टान के रूप में उक्त घोड़े देवताओं के है। पौराणिक इतिहास के आधार पर यह भी पता चलता है कि दक्षिण के भ्रमण के दौरान पांडव इस क्षेत्र में भी आए थे। उन्होंने क्षेत्र में काफी दिनों तक निवास भी किया था। इस दौरान वे यहां अलग-अलग स्थानों पर भ्रमण करने के लिए जाते थे। अत: यह भी माना जाता है कि चट्टानों के रूप में ये घोड़े पांडवों के हैं।
विरासत हो रही प्रभावित
वहीं इससे थोड़ी ही दूरी पर विशाल पहाड़ पर देवताओं का बैठक स्थल (दरबार मेला) को लेकर भी कई मान्यताएं और किंवदंतियां प्रचलित है। लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण आजतक न इन विरासतों का संरक्षण हुआ और ना ही पुरातात्विक शोध हुए। भाजपा नेता अंकित आनंद ने कहा कि यह स्थान पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण एवं संरक्षित करने योग्य है। शराबियों और भू-माफियाओं की सक्रियता से दरबार मेला और घोड़े की ऐतिहासिक विरासत प्रभावित हो रही है। अंकित आनंद ने बताया है कि इन ऐतिहासिक विरासतों को संरक्षित करने से इस क्षेत्र में पर्यटन सहित रोजगार की असीम संभावनाएं बढ़ेंगी।