- ग्रेटर जमशेदपुर के खिलाफ डीसी ऑफिस के समक्ष आदिवासियों का जोरदार प्रदर्शन, बोले
-प्रदर्शनकारियों की भीड़ की वजह से चार घंटे रहा रोड जाम
-डीसी से आधे घंटे तक वार्ता के बाद प्रदर्शन हुआ समाप्त
JAMSHEDPUR: आदिवासियों का उबाल मंगलवार को डीसी ऑफिस के समक्ष उमड़ पड़ा। मंगलवार को हुई जोरदार बारिश भी उनके उबाल को ठंडा न कर पाया। फ्फ् गांवों के ग्रामीण मूसलाधार बारिश की परवाह किये बिना भीगते हुए सड़क पर थे। किसी के हाथ में तीर-धनुष तो कोई तलवार लिये था। कुछ के हाथों में नारे लिखी तख्तियां भी थीं। लिखा था हमारे गांव में हमारा राज। ये ग्रामीण जमशेदपुर से सटे पंचायत इलाकों को ग्रेटर जमशेदपुर में शामिल किये जाने के मुख्यमंत्री की घोषणा के खिलाफ आक्रोशित थे। विरोध इन गांवों को नगरपालिका बनाने की कोशिश व कवायद को लेकर था। मुद्दा गिदीझोपड़ी जलमीनार को लेकर प्रशासन का अडि़यल रुख भी था। ग्रामीण मांग कर रहे थे कि जमशेदपुर प्रखंड के पंचायत इलाकों में आने वाले गांवों को ग्रेटर जमशेदपुर में शामिल नहीं किया जाए, न ही उन इलाकों को नगरपालिका के अंदर लाने की कोशिश हो। इसके साथ ही गिदीझोपड़ी जलमीनार के लिए चयनित स्थल को बदला जाए, क्योंकि जहां बंदूक के जोर पर जलमीनार बनाया जा रहा, वहां आदिवासियों की पारंपरिक 'माड़घाटी' यानी श्मशान घाट है। प्रदर्शन का नेतृत्व जमशेदपुर परगना बाबा दासमात हांसदा, तालसा माझी बाबा दुर्गा चरण मुर्मू, नरेश मुर्मू, सरजामदा माझी बाबा भुगलू सोरेन, पूर्व मंत्री बंधु तिर्की व प्रभाकर तिर्की ने किया।
लगी वाहनों की कतार
आदिवासी जनसमूह पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कार्यालय के समक्ष विरोध-प्रदर्शन करने जुटा तो पूरी सड़क भीड़ से पट गई। गाडि़यों के जाने के लिए सड़क पर रास्ता ही नहीं बचा। भीड़ के कारण मानगो से बिष्टुपुर की ओर जाने वाली सड़क उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जाम हो गई। भारी वाहनों की कतार लग गई। करीब क्ख् बजे से यह सड़क जाम रही जो प्रदर्शन समाप्त होने के बाद करीब चार बजे के बाद ही खुल पाई।
डीसी के बाहर आने की मांग पर अड़े
माझी परगना महाल के नेतृत्व में प्रदर्शन कर रहे आदिवासियों ने मांग रख दी कि वे उपायुक्त से वार्ता करने उनके कार्यालय में नहीं जाएंगे, बल्कि उपायुक्त ही जनता से बात करने सड़क पर आएं। इसे लेकर प्रदर्शन चार घंटे तक चलता रहा, लेकिन अंतत: प्रशासनिक पदाधिकारियों के मनाने के बाद एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त से अपनी मांगें व विरोध दर्ज करने उनके कार्यालय गया। आधे घंटे तक उपायुक्त से वार्ता करने के बाद प्रदर्शन समाप्त हो गया।
जारी रहेगा काम
उपायुक्त ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि अगर जांच में यह स्पष्ट हो जाता है कि उक्त जमीन पारंपरिक श्मशान है तो जलमीनार के लिए दूसरी जगह देखी जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि जांच होने तक जलमीनार निर्माण का काम होता रहेगा। प्रतिनिधिमंडल को उपायुक्त अमित कुमार ने आश्वासन दिया कि वे राज्यपाल को इस मामले से अवगत करा देंगे कि फ्फ् गांवों के लोग नहीं चाहते कि उनके गांव को ग्रेटर जमशेदपुर में शामिल कराया जाए। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के स्तर पर इस विषय को वे उठाएंगे। इसपर प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि माझी परगना महाल का प्रतिनिधिमंडल भी इस विषय को लेकर राज्यपाल से मुलाकात करेगा।