जमशेदपुर (ब्यूरो): आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। यहां छोटी, मध्यम और बड़ी करीब 3 हजार से भी ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं। कई ऐसी फैक्ट्री भी हैं, जो बिजली नहीं मिलने के कारण जनरेटर के भरोसे टिकी हुई हैं। इस कारण प्रोडक्शन पर भी असर पड़ रहा है। इससे उद्यमी काफी परेशान हैं। पिछले कुछ दिनों से जमशेदपुर के साथ ही इससे सटे आसपास के इलाकों, खासकर आदित्यपुर और गम्हरिया में बिजली की कटौती हो रही है।
वोल्टेज भी कम मिल रहा है
फैक्ट्रियों और बड़े संस्थानों को इन दिनों वोल्टेज की समस्या से भी परेशान होना पड़ रहा है। लगातार कम वोल्टेज मिलने के कारण व्यापारियों ने बिजली विभाग को भी अवगत कराया है, लेकिन उन्हें कहा जा रहा है कि अभी वोल्टेज की समस्या कुछ दिनों तक रहेगी। कम वोल्टेज आने के कारण फैक्ट्री को बिजली तो मिल रही है, लेकिन मशीन चलाने में परेशानी हो रही है। लगातार बिजली का कट होने के कारण यात्रियों को जनरेटर के भरोसे अपना काम करना पड़ रहा है। सबसे खास बात है कि दिन में वोल्टेज लो होता है लेकिन जब फैक्ट्री बंद होती है तो रात में वोल्टेज बढ़ जाता है, यह बढा हुआ वोल्टेज कंपनियों के किसी काम का नहीं है।
प्लास्टिक फैक्ट्री पर अधिक प्रेशर
शहर के आसपास जितने भी प्लास्टिक फैक्ट्री हैं जो प्लास्टिक प्रोडक्ट पर काम करती है वह पूरी तरह से जनरेटर पर निर्भर हो गए हैं। एक फैक्ट्री ओनर ने बताया कि प्लास्टिक का सामान तैयार करने के लिए जो मटेरियल होता है उसको मशीन के 1 लेवल पर कंटिन्यू चलाने की जरूरत होती है। अभी एक तो बिजली का लोड सेडीग बहुत अधिक हो रहा है, बार-बार बिजली कट रहा है दूसरा कम वोल्टेज आने के कारण मशीन में अगर थोड़ा देर भी रुकना पड़ा तो प्लास्टिक जम जाता है जिसके कारण पूरा रॉ मैटेरियल बर्बाद हो जाता है।
उत्पादन लागत बढ़ी
बिजली कटौती से व्यापार पर प्रतिकूल असर तो पड़ ही रहा है, इन उद्योगों में जनरेटर का इस्तेमाल बढऩे से उत्पादन लागत भी बढ़ गई है। पिछले कई दिनों से जारी बिजली कटौती से छोटे-बड़े उद्योग अब संकट में है। बिजली कटौती से न केवल व्यापार पर असर पड़ रहा है, बल्कि उद्योगों में अब काम जारी रखना मुश्किल हो रहा है। इससे इन में काम करने वाले हजारों कामगार के समक्ष रोजी रोजगार का संकट भी पैदा होने लगा है।
40,000 से अधिक डीजल
उद्योगों को पावर कट से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उद्योगपतियों का कहना है कि मशीन चालू रहने के दौरान बिजली कट जाने पर मशीन में फंसे लगभग 90 प्रतिशत माल खराब हो जाता है। अभी हर दिन करीब 40000 का डीजल मशीन चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पूरा बिजली नहीं मिलने पर फिक्स चार्ज में घंटे के हिसाब से छूट भी नहीं दी जा रही है पूरा 100 परसेंट चार्ज किया जा रहा है।
500 मेगावाट बिजली की कमी
राज्य में फिलहाल 500 मेगावाट बिजली की कमी है। यह कमी सेंटर पूल से की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि जब तक राज्य सरकार बकाया भुगतान नहीं करती है तब तक सामान्य बिजली नहीं मिलेगी। वहीं जेवीवीएनएल को पिछले कुछ समय से राजस्व वसूली में नुकसान हो रहा है, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। डीवीसी की ओर से भी बिजली कटौती की जा रही है, जबकि झारखंड सरकार अपनी जरूरत के अनुसार सेंट्रल पूल से बिजली खरीदारी का डिमांड हर दिन कर रही है, लेकिन सेंट्रल पुल से उनको बिजली का कोटा बढ़ाकर नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
टाटा मोटर्स पीक पर है, गर्मी ने भी हाल बेहाल कर रखा है। जिन इकाइयों के पास जुस्को की बिजली है, उनकी स्थिति तो ठीक है, लेकिन बाकी के प्रोडक्शन पर असर पड़ा है। प्रोडक्शन लॉस की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
संतोष खेतान, अध्यक्ष, एसिया
बिजली कटौती के कारण उद्योगों को काफी परेशानी हो रही है। इसके सटीक आंकड़े तो मिलने मुश्किल हैं, लेकिन इतना है कि बिजली कटौती से उत्पादन पर असर पड़ा है। नए उद्योगों को बिजली देने की प्रक्रिया भी आसान करने की मांग हमने की थी, लेकिन वह भी नहीं हो सका है। इससे भी परेशानी हो रही है।
विजय आनंद मूनका, अध्यक्ष, सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स