जमशेदपुर (ब्यूरो): दुर्गापूजा में प्रतिमाएं तो आपने खूब देखी हैं। रोड पर और चौक चौराहों पर भी महापुरुषों की प्रतिमाएं लगी देखी होंगी, लेकिन क्या आपको कभी यह खयाल आया कि आखिर इस प्रतिमा को किसने बनाया होगा। लोग इसपर ध्यान नहीं देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मूर्तिकार से मिलवाने जा रहे हैं। ये हैं कदमा के रहने वाले मूर्तिकार समर कांति बरुआ। इन्होंने शहर के तीन पूजा पंडालों के लिए मां दुर्गा की आकर्षक प्रतिमा का निर्माण किया है।
बचपन से था शौक
समर कांति बरुआ को बचपन से ही मूर्तिकला का शौक था। उन्होंने टाटा स्टील में नौकरी भी की, लेकिन बाद में उन्होंने मूर्तिकला को ही अपना पेशा बना लिया। वे अबतक हजारों प्रतिमाएं बना चुके हैं। हालांकि वर्ष 1976 से उन्होंने मॉडल मेकिंग की ओर रूख कर लिया। वे कहते हैं कि उन्होंने बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू, सुभाष चंद्र बोस सहित कई महापुरुषों की मूर्ति बनाई है। पूरे झारखंड में उनके द्वारा निर्मित 950 मूर्तियां लगी हैैं।
टाटा जी की बनाई ब्रॉंज की मूर्ति
श्री बरुआ कहते हैं कि उन्होंने टाटा जी की ब्रांज की मूर्ति भी बनाई है। वे कहते हैं कि उन्होंने अपनी रुचि के आधार पर ही मूर्तिकला को अपनाया। उनका कोई गुरु नहीं है। कहा कि इस क्षेत्र में आने के लिए इंट्रेस्ट होना चाहिए। पहले लोग सीखने आते थे, लेकिन अब कोई इस कला को सीखना नहीं चाहता।
कला को जीवित रखने के लिए देंगे मुफ्त ट्रेनिंग
समर कांति बरुआ कहते हैं कि मूर्तिकार दो तीन महीना काम करता है और इसके बाद उसके पास काम नहीं रहता है। यही कारण है कि उन्होंने खुद में थोड़ा बदलाव किया और क्ले मॉडल, सीमेंट और फाइबर की प्रतिमाएं बनाने लगे और इस कारण अब वे सालों भर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई इस कला को सीखना चाहे तो वे मुफ्त ट्रेनिंग देंगे।
सरकार को देना चाहिए ध्यान
वे कहते हैं कि महिलाएं इस क्षेत्र में कम ही आती हैं। हालांकि कोलकाता में महिलाएं मूर्ति बनाती हैं, लेकिन झारखंड में ऐसा कम है। वे कहते हैं कि मूर्तिकारों को सरकार से भी कोई मदद नहीं मिलती, इस कारण उनकी स्थिति भी अच्छी नहीं है। सरकार को मूर्तिकारों को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।