JAMSHEDPUR: वाहन उद्योग में अग्रणी टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में भी कर्मचारियों की संख्या को कम करने की जुगात लगाई गई है। अभी कोविड-19 पूरी तरह समाप्त भी नहीं हुआ कि यहां कर्मचारियों को छंटनी करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। पहले 27 नवंबर से दस दिसंबर तक कर्मचारियों के लिए अर्ली सेपरेशन स्कीम (ईएसएस) आया। अब शुक्रवार से वॉलंटियरी रिटायरमेंट स्कीम (वीआरएस) शुरू हुआ है।
नहीं है कोई दबाव
टाटा मोटर्स में कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए वीआरएस-20 आया है। इसकी शुरुआत एक दिन पूर्व शुक्रवार को कर दी गई है। अब इसमें कंपनी कर्मचारियों के साथ-साथ यहां के अधिकारियों पर भी नकेल कसना शुरू होगा। शनिवार से अधिकारियों को चिन्हित करने का काम किया जाएगा। टाटा मोटर्स में अभी तक 95 कर्मचारियों ने स्वेच्छा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के लिए आवेदन जमा किया है। इसके लिए कर्मचारियों पर किसी तरह का दबाव नहीं है। संबंधित विभाग के यूनियन नेता व अधिकारी कर्मचारियों को योजना का लाभ बताते हैं तथा उसे प्रभावित होने वाले कर्मचारी ही आवेदन जमा करते हैं।
प्रदर्शन के आधार पर होंगे चिन्हित
कर्मचारियों की कार्य क्षमता व प्रदर्शन का आकलन की तरह ही कंपनी के अधिकारियों की कार्यकुशलता का मापदंड रहेगा। पिछले एक साल में अधिकारी का कैसा प्रदर्शन रहा, कार्य शैली कैसी रही, विभागीय प्रमुख अधिकारी से कितने संतुष्ट हैं इन सारी ¨बदुओं को देखते हुए अधिकारियों का चयन होगा। फिर संबंधित अधिकारी को योजना में शामिल होने के लिए सलाह दिया जाएगा।
कान्वाई चालकों को भी चाहिए वीआरएस
टाटा मोटर्स के कर्मचारियों की तर्ज पर कान्वाइ चालकों के लिए वीआरएस निकालने की मांग कान्वाइ चालकों ने की है। शनिवार को टेल्को में कान्वाइ नेता ज्ञानसागर प्रसाद की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में चालकों ने कहा कि कर्मचारियों के लिए कंपनी प्रबंधन ने अच्छा वीआरएस लाया है। कान्वाइ चालक भी कंपनी के कर्मचारी हैं। कंपनी प्रबंधन को कान्वाइ चालकों के हित का भी ध्यान रखना चाहिए। कान्वाई चालक जान जोखिम में डालकर दो-तीन सप्ताह तक परिवार से दूर रहते हैं। प्रबंधन को चालकों के हित में नियम संगत निर्णय लेना चाहिए। पूर्व में ने भी 60 साल के ज्यादा उम्र के चालकों का मेडिकल जांच कर उचित मुआवजा देने को कहा था। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन हैं। ज्ञानसागर प्रसाद ने कहा कि चालकों को न्यूनतम मजदूरी, बोनस, पीएफ ओवरटाइम का वेतन भुगतान तक नहीं किया जाता। आज भी 60 वर्ष की उम्र में चालक सेवा दे रहे हैं। कुछ बीमार भी है, लेकिन उनसे काम लिया जा रहा है। चालकों का लाइसेंस रिन्यूवल 150 में होता था। अब छह हजार रुपये लग रहा है। चालकों का शोषण हो रहा है। बैठक में अमरनाथ चौबे, दिनेश पांडेय, जसपाल सिंह, गुरमीत सिंह, ज्ञानसागर प्रसाद आदि मौजूद थे।