जमशेदपुर (ब्यूरो) : शहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। दो साल के एकच् बच्चे की पेट से 350 से अधिक पत्थर निकला है, जिसे देख चिकित्सक भी हैरान हैं। चाकुलिया के कांटाबनी गांव निवासी सुंदर मोहन महतो का दो वर्षीय पुत्र जयराम महतो जब नौ माह का था, तभी उसके पेट में एक दिन तेज दर्द हुआ। तब स्थानीय डाक्टर को दिखाया, लेकिन दर्द बढ़ता गया। स्वजन गरीबी की वजह से किसच् अच्छे डाक्टर से नहीं दिखा पा रहे थे। इसी बीच सुंदर मोहन महतो को डॉ नागेंद्र ङ्क्षसह का पता मिला और वह दूसरे दिन ही चला आया। डॉ नागेंद्र ङ्क्षसह ने उनकी समस्या सुनी और भरोसा दिया कि आपके बच्चे के इलाज में पैसा कहीं बाधा नहीं बनेगा। आपके बच्चे का इलाज भी होगा और वह ठीक होकर घर भी जाएगा।
रिपोर्ट में पथरी की पुष्टि
मरीज का अल्ट्रासाउंड कराया गया, जिसमें पथरी होने की पुष्टि हुई। इतनी कम उम्र में पथरी की समस्या देख चिकित्सक भी चौंक गए। फिर दोबारा अल्ट्रासाउंड कराया गया। रिपोर्ट पहले जैसा ही आया। इसके बाद सर्जरी करने का निर्णय लिया गया। चूंकि मरीज की उम्र बहुत कम थी, इसलिए दूरबीन पद्धति से सर्जरी करना काफी चुनौतीपूर्ण था।
अटकी रही सांसे
इस दौरान चिकित्सकों ने मरीज के स्वजनों को भरोसा में लिया और छह सदस्यीय टीम गठित की, जिसमें सर्जन डॉ नागेंद्र ङ्क्षसह, फिजिशियन डॉ राम कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक व एनेस्थीसिया रोग विशेषज्ञ डॉ रूद्र प्रताप शामिल थे। सर्जरी लगभग 20 मिनट तक चली, लेकिन जब च्क बच्चे को होश नहीं आया, तब तक चिकित्सकों की भी सांसें अटकी हुई थी। कम उम्र च्े बच्चे को एनेस्थीसिया देना काफी मुश्किल होता है।
350 से अधिक पत्थर निकले
मरीज की जब सर्जरी हुई, तब उसके पित्त की थैली से एक-दो नहीं, बल्कि 350 से अधिक पत्थर देखकर सभी लोग चौंक गए। नागेंद्र ङ्क्षसह ने कहा कि मैं 32 साल में अभी तक एक लाख से अधिक सर्जरी कर चुका हूं, लेकिन यह मेरी ङ्क्षजदगी में पहला केस है जो इतने कम उम्र के मरीज में पत्थर मिला है। वह भी एक-दो नहीं बल्कि 350 से अधिक। तीन पत्थरों का आकार चना जैसा है, जबकि शेष का आकार सरसों व उससे भी छोटा है।
कोई स्पष्ट कारण नहीं
डॉ नागेंद्र ङ्क्षसह ने कहा कि इतनी कम उम्र के मरीज में पथरी होने का कोई कारण समझ में नहीं आता है। एक कारण हो सकता है कि मां से इसके शरीर में पथरी आई हो। ऐसा माना जाता है कि अगर मां के पेट च्ें ही बच्चे की पित्त की नली सिकुड़ गई हो, तो पित्त ठीक से आंत में नहीं पहुंचता है। ऐसी स्थिति में पित्त बहुत दिनों तक जमा होकर पत्थर बन सकता है।