JAMSHEDPUR: नक्सलियों के खिलाफ पुलिस सख्त होती जा रही है। सीमावर्ती इलाके में उनके खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। एक करोड़ रुपये का इनामी नक्सली आकाश व उसके दस्ते को भी दबोचा जाएगा। इसकी रणनीति सोमवार को पूर्वी सिंहभूम के एसएसपी अनूप बिरथरे की अध्यक्षता में झारखंड और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती नक्सल प्रभावित जिलों के पुलिस अफसरों की संयुक्त बैठक में बनी। यह बैठक एसएसपी कार्यालय में हुई। इसमें विभिन्न मसलों पर चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार की गई।
इन नक्सली इलाकों में पुलिस बर्तेगी सतर्कता
गणंतत्र दिवस और आसन्न लोकसभा चुनाव को देखते हुए विधि-व्यवस्था को शीर्ष प्राथमिकता पर रखते हुए आपसी तालमेल व सतत संपर्क पर जोर दिया गया। तय किया गया कि पूर्वी सिंहभूम जिले से सटे पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती नक्सल इलाकों में दोनों राज्य की पुलिस और अधिक सक्रियता व सतर्कता के साथ समन्वय बनाकर काम करेगी। संयुक्त अभियान तब तक चलाया जाएगा जबतक नक्सली आत्मसमर्पण को बाध्य न हो जाएं। इसके अलावा झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला, पश्चिम बंगाल के मिदनापुर, बेलपहाड़ी, झाडग्रामम, पुरुलिया के सीमावर्ती इलाके में सक्रिय नक्सलियों को नेस्तानबूद करने को लेकर सहमति बनी।
पुलिस अधिकारी हुए शामिल
बैठक में पूर्वी सिंहभूम जिले के एसएसपी, ग्रामीण एसपी सुभाष कुमार जाट, अपर पुलिस अधीक्षक प्रणव आनंद झा, सीआरपीएफ 193 बटालियन के कमांडेंट शिव कुमार उपाध्याय, 207 कोबरा बटालियन के सहायक कमांडेंट प्रेम प्रताप सिंह, 184 बटालियन के एस शेखर, 169 बटालियन के श्याम सुंदर, सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल के एसडीपीओ धीरेंद्र बेंका, जैप तीन के कोलेंद्र प्रसाद, पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम के डीएसपी सुब्रता मंडल, पुरुलिया के डीएसपी अभिजीत सिन्हा महापात्रा, घाटशिला अनुमंडल के सभी थाना प्रभारी, पटमदा के प्रभारी समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए।
तैयार की गई कार्ययोजना
- झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती इलाके में नक्सलियों के खिलाफ आपसी समन्वय से अभियान चले।
- नक्सली मामलों में कैसे इंटेलीजेंस शेयर हो, उसकी कार्ययोजना तैयार की गई।
- नक्सलियों के खिलाफ समय-समय पर प्रभावी अभियान को लेकर रूपपरेखा तैयार की गई।
- नक्सलियों की आय के स्रोत लेवी वसूली पर रोक लगाई जाएगी। कुछ हद तक इसपर रोक लग भी चुकी है।
- नक्सलियों और उनके सहयोगियों की संपत्ति को चिह्नित कर उसे जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
- नक्सली दस्ते में शामिल हो रहे लोगों पर निगाह रखी जाय। उन्हें संगठन में शामिल होने से रोका जाय।
- सरकार की सरेंडर पॉलिसी के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए।
- नक्सलियों के शहरी कनेक्शन का पता लगाया जाय, जो उन्हें मदद पहुंचाते हैं।
- चिह्नित किए जा चुके इनामी नक्सली नेताओं की गतिविधियों की जानकारी व जानकारी का आदान-प्रदान।
- नक्सल मुक्त कराए इलाकों पर विशेष नजर। दस्ते में नए सदस्यों के शामिल होने की सूचना मिलने पर उसे चिह्नित किया जाय।
- समय-समय पर अभियान की रणनीति को परिवर्तित करने को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
- नक्सलियों के खिलाफ अभियान को लेकर सूचनातंत्र को सशक्त करने पर जोर।
- अंतरराज्यीय सीमाओं पर नक्सली गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जाएगी।
- साइबर क्राइम, अंतरराज्यीय आपराधिक गिरोह, मादक द्रव्य तस्कर और अपराधियों की सूची का आदान-प्रदान।