लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आपने राजधानी में किसी ज्वैलर्स से गहने खरीदे हैं तो हो सकता है कि वह अवैध सोने से बना हो। अवैध सोने का मतलब नकली सोना नहीं बल्कि, अवैध ढंग से देश में लाया गया सोना, जिसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है। दरअसल, ड्यूटी व टैक्स बचाने के लिये राजधानी के कई ज्वैलर्स को अवैध सोने की चमक भा रही है। मोटे मुनाफे के लालच में राजधानी में हर माह क्विंटलों सोना गलाया जा रहा है। बीते दिनों कृष्णानगर पुलिस द्वारा दबोचे गए तस्करों से मिले सुराग के बाद राजधानी के चौक के प्रतिष्ठित सिद्धनाथ ज्वैलर्स में इनकम टैक्स की छापेमारी में बरामद भारी मात्रा में सोना इसकी तस्दीक करता है। बताया जा रहा है कि तस्करों ने राजधानी के कई अन्य ज्वैलर्स के बारे में जानकारी उगली है, जिन पर जल्द कार्रवाई हो सकती है। अवैध सोने के खेल और उससे होने वाले मुनाफे पर पंकज अवस्थी की विशेष रिपोर्ट-
म्यांमार बना अवैध सोने का ट्रांजिट प्वाइंट
जानकारों के मुताबिक, अवैध सोने का ट्रांजिट प्वाइंट म्यांमार बन गया है। जहां से भारत में बड़े पैमाने पर सोने की तस्करी की जाती है। यह सोना म्यांमार बॉर्डर क्रॉस कर इंफाल पहुंचाया जाता है। जहां से उसे सड़क मार्ग से कैरियर के जरिये दिल्ली, कोलकाता व मुंबई पहुंचाया जाता है। म्यांमार में सोने की कीमत भारत के मुकाबले काफी कम हैं। राजधानी में सर्राफा कारोबार से जुड़े एक व्यापारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि दिल्ली के चांदनी चौक में इस अवैध सोने के बड़े खरीदार मौजूद हैं। जो यह सोना खरीदकर उसे एजेंटों के जरिए देश भर में सप्लाई करते हैं। इसके अलावा श्रीलंका, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश के रास्ते भी बड़ी मात्रा में सोना तस्करी के लिये भारत लाया जाता है।
ऊंचा टैक्स तस्करी की वजह
सोने की बड़े पैमाने पर जारी तस्करी और खपत की बड़ी वजह अवैध सोने की कीमत का कम होना है। दरअसल, सोने पर सरकार 12।5 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लगाती है। इसके अलावा ज्वैलरी बिक्री के समय उस पर जीएसटी भी लगाई जाती है। वहीं, अवैध सोने पर उत्पाद शुल्क न लगने की वजह से इसकी कीमत पहली ही नजर में 12।5 प्रतिशत कम हो जाती है। म्यांमार समेत खाड़ी देशों में सोने की कीमत भारत से तीन से चार हजार रुपये प्रति 10 ग्राम कम है। लिहाजा, वहां से तस्कर अवैध ढंग से सोना भारत में दाखिल कराने की कोशिश में जुटे रहते हैं। वहीं, इस सोने से बनी ज्वैलरी को बाजार मूल्य पर बेचकर ज्वैलर से लेकर तस्कर तक मुनाफा कमाते हैं। वहीं, सरकार को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान होता है।
छोटे ज्वैलर्स के जरिये खपा रहे सोना
सर्राफा जानकार बताते हैं कि तस्करी कर लाये गए सोने से होलसेल कारोबारी ज्वैलरी बनाकर छोटे कारोबारियों को बेच देते हैं। यह दुकानदार पक्का पर्चा नहीं लेते, इसी तरह गांवों और कस्बों के दुकानदार भी बिना पक्का पर्चे के यह ज्वैलरी ग्राहकों को बेचते हैं। लिहाजा यह सोना सरकार की नजर में आने से बचा रहता है।
काले धन में भी हो रहा इस्तेमाल
तस्करी कर लाया गया सोना काला धन इकट्ठा करने वालों की पहली पसंद है। दरअसल, ऐसे व्यापारी ज्वैलर से बिना किसी लिखापढ़ी काला धन देकर सोना खरीद लेते हैं। इससे न सिर्फ उनका काला धन सुरक्षित हो जाता है बल्कि, ज्वैलर को भी इस सोने को खपाने में ज्यादा कसरत नहीं करनी पड़ती। उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के वक्त कई व्यापारियों के काला धन सोने में बदलने की खबरें सामने आई थीं। यह सिलसिला अब भी जारी है।
राजधानी में कब-कब पकड़ा गया अवैध सोना
- 12 फरवरी, 2020 : दुबई से एयरपोर्ट पहुंचे पैसेंजर के पास 5.8 किलो वजन के सोने के बिस्कुट बरामद
- 25 अक्टूबर, 2019 : एयरपोर्ट पर दुबई से पहुंचे पैसेंजर की पीठ में चिपका 542 ग्राम सोना किया बरामद
- 20 जुलाई, 2019 : दुबई से एयरपोर्ट पहुंचे पैसेंजर के पास हाइप्रेशर मशीन में छिपाकर लाया गया 30 लाख का सोना बरामद
- 17 जून, 2019 : एयरपोर्ट पर बैंकॉक से पहुंचे पैसेंजर के पास पाउडर की शक्ल में 10 लाख का सोना बरामद
- 8 अप्रैल, 2019 : कृष्णानगर में सिक्योरिटी वैन में 24 किलो सोना और 52 किलो चांदी पकड़ी गई
- 7 फरवरी, 2019 : मस्कट से एयरपोर्ट पहुंचे पैसेंजर के पास मोबाइल चार्जर की लीड में लगा 775 ग्राम सोना पकड़ा
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