सीआइए के पूर्व अधिकारी की किताब में हुआ खुलासा
किताब में कहा गया है कि चीन के नेता माओत्से तुंग का भारत पर हमले का मुख्य उद्देश्य नेहरू को नीचा दिखाना था। क्योंकि नेहरू तीसरी दुनिया के नेता के रूप में उभर रहे थे। ब्रूस रीडेल ने अपनी किताब ‘जेकेएफ्स फॉरगोटेन क्राइसिस: तिब्बत, द सीआइए एंड द सिनो-इंडियन वार’ में कहा है कि 1962 में भारत की आगे बढऩे की नीति से चीन भडक़ गया था। माओ का ध्यान नेहरू पर केंद्रित था लेकिन भारत की हार माओ के शत्रुओं खु्रश्चेव और कैनेडी के लिए धक्का था।
नेहरू ने लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने का किया था अनुरोध
चीन के भारतीय सीमा में आगे बढऩे के बाद नेहरू ने नवंबर 1962 में कैनेडी को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने कहा कि चीन के आक्रमण को रोकने के लिए भारत को मालवाहक और लड़ाकू विमानों की जरूरत है। इसके बाद नेहरू ने तुरंत एक और पत्र लिखा। अमेरिका में भारत के तत्कालीन बीके नेहरू ने 19 नवंबर को यह पत्र कैनेडी को सौंपा। पत्र में नेहरू ने कैनेडी से चीन की सेना को हराने के लिए हवाई हमले में शामिल होने का अनुरोध किया था। पत्र में नेहरू ने अमेरिकी वायुसेना के 12 स्क्वाड्रन की मांग की। इसके अलावा बी-47 बम वर्षक के दो स्क्वाड्रन का भी अनुरोध किया। नेहरू ने लिखा कि केवल भारत का अस्तित्व दांव पर नहीं है बल्कि पूरे उपमहाद्वीप या एशिया में स्वतंत्र सरकारों का अस्तित्व भी दांव पर है।
कैनेडी ने दे दिया युद्ध की तैयारी का निर्देश
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