उधमपुर (एएनआई)। जम्मू-कश्मीर में उधमपुर जिले के पंचारी गांव में किसान अखरोट की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश के बागवानी विभाग के सहयोग से, कई किसानों ने पारंपरिक खेती से आगे बढ़कर अखरोट की खेती को अपनाया है। संबंधित विभाग अखरोट उगाने और बेहतर उत्पाद व गुणवत्ता बढ़ाने वाले संकर बीज उपलब्ध करा रहा है। विभाग किसानों के बीच लगातार जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहा है।
किसानों की आय दोगुना करने में जुटा विभाग
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने में बागवानी विभाग जोर शोर से जुटा हुआ है। विभाग कृषि की लागत कम करके किसानों की आय और उत्पादन बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है।
आशा की नई किरण बनी अखरोट की खेती
पंचारी गांव में किसान, जो अपनी आजीविका कमाने के लिए पूरी तरह से कृषि पर निर्भर हैं, उन्होंने कहा कि वह अब भारी मुनाफा कमा रहे हैं और अखरोट की खेती उनके लिए आशा की नई किरण बन कर आयी है। पंचारी के किसान प्रीतम कुमार ने कहा कि अखरोट की खेती में जाने से उन्हें और गांव के अन्य लोगों को बेहतर आय अर्जित करने में मदद मिली है। "पहले हम केवल सब्जियां, गेहूं और मकई का उत्पादन करते थे। तब हम अखरोट की खेती के बारे में नहीं जानते थे। प्रशासन ने जागरूकता पैदा करके और अच्छे बीज प्रदान करके हमारी मदद की। मैं अब 4-5 साल से अखरोट उगा रहा हूं"।
100 प्रतिशत जैविक विधि से हो रहा अखरोट का उत्पादन
एक अन्य किसान, अंगरेज सिंह ने कहा कि अखरोट की खेती से न केवल किसानों को बल्कि खेतों में काम कर रहे मजदूरों को भी बेहतर कमाई करने में मदद मिली है। "यहां अच्छी गुणवत्ता वाले अखरोट का उत्पादन किया जा रहा है, जो 100 प्रतिशत जैविक हैं। बागवानी विभाग के प्रयासों से नई योजनाएं लाई गयी हैं और किसानों को फसल के बारे में जागरूक किया गया। इस प्रकार, अखरोट की गुणवत्ता में यहां सुधार हुआ है, जिससे किसान की आय में भी वृद्धि हुई है। इससे न केवल किसान, बल्कि मजदूर भी लाभान्वित हुए हैं।'' उन्होंने कहा, ''मैं अखरोट की खेती को लेकर जागरूक करने के लिए बागवानी विभाग का आभारी हूं। अखरोट के पेड़ों के बाग में काम करने वाले मजदूर बलबीर सिंह ने बताया, "मैं 2-3 साल से यहां काम कर रहा हूं। काम अच्छा है क्योंकि हमें अच्छा पैसा मिलता है।"
गांव के सरपंच कुलदीप कुमार बताते हैं कि अखरोट की खेती से ग्रामीणों को अच्छा लाभ हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा, "लगभग 30 साल पहले, पंचारी में अखरोट के पेड़ बहुत कम थे। आज हम में से सैकड़ों लोग इसी काम से अपनी जीविका कमा रहे हैं। हम केंद्र शासित प्रदेश के शासन से भी अपील करते हैं कि हमारा उत्पादन बेचने के लिए कोई स्टोर या बाजार खोलें ताकि व्यवसाय का विस्तार हो सके।
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