आरोप है कि इन्होंने यूनिवर्सिटी परिसर में कई जगह सैनिट्री पैड छोड़े, जिनमें महिलाओं के मुद्दों से जुड़े संदेश लिखे थे.
एक छात्र ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर पुष्टि की है कि उन्हें शो कॉज़ नोटिस मिला है, लेकिन फ़िलहाल और कुछ कहने से इंकार किया है.
जामिया के मीडिया सेल के एम रंजन ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "नोटिस में बताया गया है कि कई टीचर, स्टूडेंट्स और कर्मचारियों ने इस अभियान के बारे में शिकायत की."
रंजन के अनुसार, "यूनीवर्सिटी ने छात्रों से कहा है कि वो बताएं कि बिना किसी अनुमति लिए उन्होंने ये अभियान क्यों किया?"
उन्होंने कहा, "हालांकि यूनीवर्सिटी का कहना है कि वो छात्रों की पहल की सराहना करते हैं और इस मुद्दे पर उनके साथ मिलकर और काम करेंगे."
फ़ेमिनिस्ट संदेश
दरअसल कुछ दिन पहले कुछ छात्रों ने मिलकर एक अभियान शुरू किया था.
ये लोग यूनिवर्सिटी में पेड़ों के इर्द-गिर्द, दीवारों पर सैनिट्री पैड रख रहे थे. ये तस्वीरें ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भी डाली गईं और नाम दिया गया #padsagainstsexism.
सैनिट्री पैड पर जो संदेश लिखे जा रहे थे वो कुछ इस तरह के थे- "माहवारी का रक्तस्राव गंदा नहीं होता बल्कि आपकी सोच गंदी है."
या "माहवारी होना सामान्य बात है, पर बलात्कार नहीं."
छात्र कैंपस में ही नहीं बल्कि बस स्टॉप वगैरह पर भी आम लोगों के बीच जाकर ऐसा कर रहे थे.
इस अभियान को लेकर ट्विटर और इंस्टाग्राम पर कुछ लोगों ने दिल खोलकर छात्रों का समर्थन किया तो कुछ ने सवाल भी उठाए.
ट्विटर पर बहस
मूल रूप से इस अभियान को शुरू करने वाली जर्मन छात्रा इलोना ने जामिया के इस क़दम की आलोचना की है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "ये दिखाता है कि लोग कैसे एक सैनिट्री पैड से आहत हो गए. ये सिर्फ़ एक पैड है, कोई बंदूक नहीं. इसे लेकर इतनी वर्जनाएँ हैं कि ये मूर्खतापूर्ण लगता है."
नोटिस दिए जाने पर कई लोगों ने ट्विटर पर छात्रों को अपना समर्थन दिया है.
@yudhajit ने लिखा है, "जामिया संदेश समझने में नाक़ामयाब रहा और पैड पर फ़ेमिनिस्ट संदेश लिखने के लिए चार छात्रों को नोटिस दिया है."
जर्मनी की इलोना.
जबकि @whyloiter की प्रतिक्रिया है, "छात्रों के सृजनशील अभियान का जवाब जामिया ने तरीके की आलोचना कर किया है."
19 साल की इलोना ने जर्मनी में इस अभियान को सामाजिक प्रयोग के तौर पर शुरू किया था.
एक दिन उन्होंने खिड़की पर पैड रखा देखा और उनके दिमाग़ में ख़्याल आया कि क्यों न इसका इस्तेमाल सामाजिक संदेश देने के लिए किया जाए.
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