कहानी:
एक मर्डर का आरोपी एक ऐसे घर में शरण लेता है जिसमे एक और मर्डर हो जाता है, अजब हालात हैं, दो मर्डर, दो अपराधी और वही दो हैं चश्मदीद गवाह, किसकी कहानी सच है और किसकी है फसाना यही है पुलिस को पता लगाना।

समीक्षा:
क्राइम थ्रिलर फिल्म को बनाना बेहद मुश्किल काम है, ज़रा भी राइटिंग इधर की उधर हो जाये तो फ़िल्म प्रेडिक्टेबल हो जाती है। क्राइम थ्रिलर फिल्म का खास पहलू होता है उसका साइकोलॉजिकल एंगल। अच्छी बात ये है कि ओरिजिनल फ़िल्म की तरह ये फ़िल्म उस लेवल पर खरी उतरती है। फिर भी इंटरनेशनल फिल्में देख-देख कर दर्शक सयाने हो गए है, रोशोमान और तलवार की तरह ही ये फ़िल्म पहलू दर पहलू कहानी सुनाने की तकनीक अपनाती है, बस एक प्रॉब्लम है जिसकी वजह से ये फ़िल्म न तो रोशोमान ही बन पाती है, और न ही तलवार, वो है की कहानी या मर्डर के मूल मुद्दों में वजन नहीं है। इस वजह से फ़िल्म फीकी सी लगती है। फिर भी फिल्म इस साल की अच्छी क्राइम थ्रिलर में से एक है। फ़िल्म के तकनीकी पहलू बढ़िया है। फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी बढ़िया है और फ़िल्म का पार्श्वसंगीत भी अच्छा है, फ़िल्म को अपलिफ्ट करता है। फ़िल्म की एडिटिंग बेहतर होती तो फ़िल्म काफी अच्छी होती। निर्देशन औसत से बेहतर है।

 



अदाकारी

यूँ तो फ़िल्म के मेन किरदार हैं सोनाक्षी और सिद्धार्थ पर अगर कोई किरदार रोचक है तो वो है अक्षय खन्ना के किरदार, यूँ तो उनका किरदार मॉम का हैंगओवर लिए हुए है फिर भी वही इस फ़िल्म की असली जान है, इस साल की बेस्ट सपोर्टिंग किरदार में से एक, यकीनन इस साल की अवार्डवर्दी परफ़ॉर्मेंस है। सोनाक्षी ठीक ठाक हैं। सिद्धार्थ धीरे धीरे बेटर होते जा रहे हैं, इसका क्रेडिट तो बनता है।
ittefaq movie review : कल भी इत्तेफाक थी,आज भी इत्तेफाक है
कुलमिलाकर फ़िल्म ओरिजिनल इंस्पिरेशन यश चोपड़ा की इत्तेफ़ाक़ जैसी इंटेस तो नहीं है, पर बुरी भी नही है। फ़िल्म औसत से बेहतर है। अगर फ़िल्म और थोड़ी कसी हुई होती तो निश्चित ही काफी अच्छी होती। एक बार फिर भी ज़रूर देख सकते हैं इत्तेफाक।

रेटिंग : तीन स्टार

Yohaann Bhargava
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