पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी के अप्रत्याशित यू-टर्न के बाद लेट्टा ने बहुमत हासिल कर लिया.
विश्वास मत से पहले संसद में भाषण के दौरान लेट्टा ने कहा कि उनकी सरकार का गिरना देश के लिए हानिकारक होगा. लेट्टा के भाषण के बाद बर्लुस्कोनी ने संसद को बताया कि वे प्रधानमंत्री का समर्थन करेंगे.
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी ने अपनी पार्टी पीपुल ऑफ फ्रीडम पार्टी (पीडीएल) के मंत्रियों को सरकार से अलग होने का आदेश दिया था जिसके बाद एनरिको लेट्टा की सरकार ख़तरे में आ गई थी.
पीडीएल के कई प्रमुख नेताओं ने बर्लुस्कोनी के आदेश की अवहेलना करते हुए कहा था कि वे लेट्टा का समर्थन करेंगे.
इससे पहले लेट्टा ने पीडीएल के पाँच मंत्रियों के इस्तीफ़े अस्वीकार कर दिए थे.
पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी ने लेट्टा पर न्यायपालिका का इस्तेमाल कर अपना राजनीतिक करियर ख़त्म करने का आरोप लगाया था. अगस्त में टैक्स फ़र्ज़ीवाड़े के एक आरोप में बर्लुस्कोनी को दोषी करार दिया गया था.
बदल गए बर्लुस्कोनी
साप्ताहिक पत्रिका टेंपी को भेजे एक पत्र में बर्लुस्कोनी ने कहा था, 'मैं जो ख़तरे उठाने जा रहा हूँ उन्हें समझता हूँ लेकिन फिर भी मैंने लेट्टा की सरकार को गिराने का फ़ैसला किया है.'
हालाँकि बुधवार को संसद पहुँचने पर उनके सुरों में बदलाव आया. उन्होंने कहा, 'हम देखेंगे कि क्या होता है. हम लेट्टा का भाषण सुनेंगे और फिर अपना फ़ैसला लेंगे.' लेट्टा के भाषण के बाद बर्लुस्कोनी ने सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला लिया. बर्लुस्कोनी की पार्टी के समर्थन से लेट्टा की सरकार बच गई.
सदन को संबोधित करते हुए लेट्टा ने कहा, 'अगर सरकार गिरी तो यह इटली के लिए ख़तरनाक होगा.' उन्होंने कहा, "हमारे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आप हमें अपना विश्वास दीजिए. हमने जो कुछ हासिल किया है उसके लिए हमें विश्वासमत दीजिए. इटली और इटली के नागरिकों के लिए अपना विश्वासमत दीजिए."
सदन में बहुमत साबित करने के लिए लेट्टा को 167 वोटों की ज़रूरत थी. उनके पास 137 वोट पहले से थे. बर्लुस्कोनी की पार्टी के समर्थन के बाद उन्होंने बहुमत हासिल कर लिया.
अर्थव्यवस्था पर असर
विश्लेषकों के मुताबिक इटली के ताज़ा राजनीतिक संकट का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है.
इंटरनेशनल मोनेटरी फंड ने चेतावनी दी है कि राजनीतिक तनाव इटली की अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा हो सकता है.
अनिर्णायक चुनाव के बाद दो महीने तक चले गतिरोध को ख़त्म करते हुए लेट्टा की पार्टी ने बर्लुस्कोनी की पार्टी के साथ गठबंधन करके सरकार बनाई थी.
नवंबर 2011 में इस्तीफ़ा देने से पहले बर्लुस्कोनी दो दशकों तक इटली की सत्ता पर काबिज़ रहे थे.
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