कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। ISRO Aditya L1 Mission 2023 : सफल चंद्रयान-3 मिशन के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सूर्य का अध्ययन करने के लिए आज अपना अपना पहला सौर मिशन 'आदित्य-एल1' लॉन्च कर रहा है। इसे 11:50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाना है। भारत के इस मिशन पर भी पूरी दुनिया की निगाहें अटकी हैं। हो भी क्यों न आखिर इसके पहले 23 अगस्त को, भारत ने एक बड़ी छलांग लगाई थी जब चंद्रयान -3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरा था। भारत यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने वाला पहला देश बन गया। वहीं भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला चौथा देश बन गया।
पहला भारतीय मिशन
आदित्य एल1 इसरो का सूर्य के अध्ययन के लिए समर्पित पहला भारतीय मिशन है। यह आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा।
यहां देख सकते लाइव
सुबह 11 बजकर 50 पर लाॅन्च होने वाले इस मिशन को लाइव एजेंसी इसरो के यूट्यूब चैनल व इसरो के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पेज पर जाकर भी देखा जा सकता है।
125 दिन की यात्रा
आदित्य एल1 सूर्य की डीप स्टडी करने वाला सेटेलाइट है। इसरो का PSLV C57 वेहिकल आदित्य L1 मिशन को सूर्य की 125 दिन की यात्रा पर ले जाएगा।
संस्कृत शब्द से नाम
आदित्य एल1 मिशन का नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है। आदित्य का संस्कृत में अर्थ सूरज होता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मिशन में 400 करोड़ रुपये खर्च हुए है।
पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं
पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं। आदित्य एल1 उपग्रह को लैग्रेंज प्वाइंट 1 या एल1 के आसपास रखा जाएगा। इन्हें सूर्य के सबसे करीब माना जाता है।
पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा
लॉन्चिंग के बाद, आदित्य-एल1 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षाओं में रहेगा। यह पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है।
न ही सूर्य के और करीब आएगा
आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के और करीब आएगा। यह सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य एल1 में 7 अलग-अलग पेलोड हैं।
इस तरह काम करेंगे पेलोड
चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे जबकि तीन पेलोड लैग्रेंज प्वाइंट एल1 पर कणों और क्षेत्रों का इन-सीटू अध्ययन करेंगे। बतादें कि पेलोड स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं।
मिशन के ये हैं मुख्य उद्देश्य
मिशन उद्देश्यों में कोरोनल हीटिंग और सोलर विंड एस्क्लेरेशन, कोरोनल मास इजेक्शन की शुरुआत और नियर अर्थ स्पेस वेदर और सोलर विंड डिस्ट्रीब्यूशन को समझना है।
संभावनाओं के नए द्वार
भारत में अभी वैज्ञानिक सूरज की स्टडी ऑब्जर्वेटरी में लगी दूरबीनों से करते हैं लेकिन अब आदित्य L1 सफलता के बाद वैज्ञानिकों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।
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