श्रीहरिकोटा (एएनआई)। ISRO Aditya L1 Mission 2023 : आदित्य-एल1 ऑर्बिटर ले जाने वाला पीएसएलवी-सी57.1 रॉकेट शनिवार सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक उड़ान भर गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पहले सौर मिशन का सफल प्रक्षेपण ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग मिशन चंद्रयान -3 के बाद हुआ। हाल ही में इसरो ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक लैंडर को सफलतापूर्वक स्थापित किया। यह एक ऐसी उपलब्धि है जिसने भारत को ऐसा करने वाले पहले देश के रूप में रिकॉर्ड बुक में डाल दिया।
मिशन के चार महीने में आब्जर्वेशन प्वाइंट तक पहुंचने की उम्मीद
एजेंसी के मुताबिक, आदित्य-एल1 मिशन के चार महीने में आब्जर्वेशन प्वाइंट तक पहुंचने की उम्मीद है। इसे लैग्रेंजियन प्वाइंट 1 (या एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो सूर्य की दिशा में पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर है। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए सात अलग-अलग पेलोड ले जा रहा है जिनमें से चार सूर्य से प्रकाश का निरीक्षण करेंगे और अन्य तीन प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र के इन-सीटू मापदंडों को मापेंगे।
भारत के ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग मिशन चंद्रयान -3 की तारीफ
इससे पहले, 23 अगस्त को अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडर स्थापित करने वाला चौथा देश बन गया था।
ऐतिहासिक टचडाउन के बाद, 'विक्रम' लैंडर और 'प्रज्ञान' रोवर ने चंद्र सतह पर अलग-अलग निर्धारित कार्य किए, जिसमें सल्फर की उपस्थिति का पता लगाना और सापेक्ष तापमान रिकॉर्ड करना शामिल था। पूरी दुनिया में भारत के ऐतिहासिक चंद्र लैंडिंग मिशन चंद्रयान -3 की तारीफ हो रही है।
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