कानपुर। पुलवाना आतंकी हमले के बाद भारत में लोग आतंकियों से बदला लेने की मांग कर रहे हैं। बता दें कि दुनिया में एक ऐसा देश भी है, जिसका बदला लेने के मामले में कोई जवाब नहीं है। आतंकियों से त्रस्त उस देश ने अपना बदला पूरा करने के लिए करीब 20 सालों तक एक अभियान चलाया था और दुनिया के कोने-कोने से आतंकियों को खोजकर मौत के घाट उतारा था। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1972 में ओलंपिक गेम्स का आयोजन जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुआ था। इस खेल में हिस्सा लेने के लिए तमाम देशों के खिलाड़ी आए थे। सितंबर 1972 में म्यूनिख शहर में फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने पहले 11 इजराइली एथलीटों का अपहरण किया और बाद में उनकी हत्या कर दी। हालांकि, इस घटना को अंजाम देने वाले आठ आतंकी भी मारे गए लेकिन इजराइल सिर्फ इतने से शांत बैठने वाला नहीं था।
हमले में शामिल लोगों की बनी लिस्ट
म्यूनिख शहर में हुए इस घटना के बाद इजराइल पूरी तरह से बौखला गया और बदला लेने की ठान ली। उसने अपनी खुफिया एजेंसी मोसाद के जरिये इस हमला को अंजाम देने वाले हर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतारने की कसम खाई और इसके लिए उसने एक मिशन की शुरुआत की, जिसका नाम 'रैथ ऑफ गॉड' रखा गया। इस मिशन के तहत दुनिया के अलग-अलग देशों में मौजूद उन सभी लोगों को मौत के घाट उतारने का निर्देश दिया गया, जिनका संबंध म्यूनिख शहर में हुए इस घटना से था। यह ऑपरेशन शुरू हुआ, सबसे पहले इस घटना से संबंध रखने वालों की एक लिस्ट बनाई गई। इसके बाद इस मिशन के लिए कुछ ऐसे एजेंट्स खोजे गए, जो गुमनाम रह कर ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड को आगे बढ़ा सकते थे।
एजेंट्स के सामने इजराइल ने रखी थी कड़ी शर्त
बता दें कि उनके सामने यह शर्त भी राखी गई थी कि उन्हें सालों तक अपने परिवार से दूर रहना है और वह अपने मिशन के बारे में परिवार को भी नहीं बता सकते हैं। इसके अलावा उन्हें यह भी बताया गया कि अलग अलग देशों में पकड़े जाने पर इजराइल उनकी पहचान नहीं करेगा। मिशन शुरू होने के बाद एजेंटों को सफलता मिलने लगी, उन्होंने दुनिया के अलग अलग देशों में हर एक व्यक्ति, जो म्यूनिख शहर में हुए हमले के लिए जिम्मेदार था, उसे मौत के घाट उतारा। सबसे बड़ी बात यह है कि ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड करीब सालों तक चला था और उसमें मोसाद के एजेंट्स ने दुनिया के अलग अलग जगहों पर कुल 35 फिलिस्तीनियों को मारा था।
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