चंद रुपयों के लालच में कर लिया देश की सुरक्षा से समझौता

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LUCKNOW : चंद रुपयों के लालच में भारतीय दूतावास के अधिकारी के कुक रमेश सिंह ने देश की सुरक्षा से समझौता कर लिया और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को दूतावास के भीतर की सूचनाएं देने लगा। दो साल तक यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। हालांकि, उसकी पोल फैजाबाद में दबोचे गए आईएसआई एजेंट ने मिलिट्री इंटेलिजेंस के सामने खोल दी। जिसके बाद से वह एमआई व यूपी एटीएस के राडार पर आ गया और आखिरकार उसे बुधवार को पिथौरागढ़ में अरेस्ट कर लिया गया। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि देश से गद्दारी के एवज में मिली रकम से रमेश ने अपने नौ लाख रुपये के कर्ज को पाट दिया। अब एटीएस रमेश से पूछताछ कर अन्य राज उगलवाने की तैयारी में जुट गई है।  

 

दूतावास में फिट कीं बगिंग डिवाइस

एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार ने बताया कि मिलिट्री इंटेलिजेंस, यूपी एटीएस व उत्तराखंड पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा पिथौरागढ़ से दबोचा गया रमेश सिंह वर्ष 2015 में पाकिस्तान गया था। जहां वह इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के एक अधिकारी के कुक की नौकरी करता था। इसी दौरान रमेश का संपर्क  पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के दो ऑफिसर्स से हुआ। आईएसआई ऑफिसर्स ने रमेश को रुपयों का लालच दिया तो वह दूतावास के भीतर की सूचनाएं देने को तैयार हो गया। उन्होंने बताया कि रमेश ने दो साल तक दूतावास से विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां आईएसआई को दीं। इतना ही नहीं, उसने दूतावास में कई जगह बगिंग डिवाइस (जासूसी उपकरण) भी लगाए थे।  

कुक की नौकरी कर दूतावास से लीक की खुफिया सूचनाएं,आईएसआई एजेंट अरेस्ट

आर्मी मूवमेंट की भेजता था इंफॉर्मेशन

बीती 3 मई 2017 को फैजाबाद में पकड़े गए आईएसआई एजेंट आफताब से पूछताछ में रमेश के बारे में टिप मिला था। जिसके बाद रमेश एटीएस व मिलिट्री इंटेलिजेंस के राडार पर आ गया था। बताया जाता है कि वर्ष 2017 में उसे नौकरी से निकाल दिया गया। जिसके बाद रमेश वापस भारत लौट आया और पिथौरागढ़ के गराली जौलजीबी स्थित घर में रहने लगा। बताया जाता है कि रमेश यहां से भी पाकिस्तान में बैठे आईएसआई ऑफिसर्स के संपर्क में था। वह पिथौरागढ़ में आर्मी की तमाम रेजिमेंट या ब्रिगेड के डेप्लॉयमेंट या मूवमेंट से जुड़ी सूचनाएं पाकिस्तान भेजता था। बताया जा रहा है कि रमेश ने राजस्थान और पंजाब का भी दौरा किया और वहां से भी सूचनाएं पाकिस्तान को भेजीं। अधिकारियों की मानें तो रमेश बॉर्डर के आसपास मूव करने वाले आर्मी के ट्रकों के नंबर पाकिस्तान भेजता था। इन नंबरों का एनालिसिस कर आईएसआई यह पता लगा लेती थी कि चाइनीज बॉर्डर पर इस वक्त कौन सकी रेजिमेंट एक्टिव है।   

 

डॉलर में लेता था पेमेंट  

आईजी एटीएस असीम अरुण के मुताबिक, शुरुआती पूछताछ में आरोपी रमेश ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए बताया है कि वह सूचनाएं देने के एवज में आईएसआई अधिकारियों से डॉलर में पेमेंट लेता था। उसने बताया है कि वह इन डॉलर को दिल्ली पहुंचने पर एक्सचेंज कराता था। पाकिस्तान में नौकरी से पहले उस पर 9 लाख रुपये का कर्ज हो चुका था। जासूसी से मिली रकम की बदौलत उसने दो साल में अपना कर्ज पाट दिया।  

 

बरामद हुआ पाकिस्तानी सेलफोन और सिम

यूपी एटीएस टीम ने आरोपी रमेश सिंह के कब्जे से पाकिस्तानी ब्रांड 'क्यू' का मोबाइल फोन व चार सिम बरामद किये। इनमें से एक सिम पाकिस्तानी सेलफोन कंपनी का है। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर ने बताया कि पूछताछ में रमेश ने बताया कि बरामद सेलफोन उसे आईएसआई ऑफिसर्स ने दिया था। उन्होंने आशंका जताई कि इस फोन में स्पाईवेयर हो सकता है। जिसके लिये इस सेलफोन को जांच के लिये फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।

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