मणिपुर कोर्ट ने खारिज किए आरोप
मणिपुर ईस्ट की सेशन कोर्ट में केएच मणि और वाई देवदत्ता की पेटीशन पर सुनवाई करते हुए जस्टिस गुनेश्वर शर्मा ने कहा कि इरोम शर्मिला पर आत्महत्या की कोशिश की मंशा का आरोप साबित नहीं होता. ऑर्डर में कहा गया कि स्टेट गवर्नमेंट उनकी सेहत को लेकर उचित उपाय कर सकती है। शर्मिला चार नवंबर 2000 को भूख हड़ताल पर बैठी थीं। इसके बाद 2001 से वे मणिपुर के एक हॉस्पिटल में ज्युडिशियल कस्टडी में हैं। उनके खिलाफ मणिपुर की पुलिस ने सुसाइड अटेंप्ट के आरोप लगाए थे। फिलहाल 42 साल इरोम इम्फाल में जवाहर लाल नेहरू चिकित्सा विज्ञान संस्थान में नजरबंद थीं ताकि वे आत्महत्या न कर लें.

क्यों थीं इरोम भूख हड़ताल पर?

इरोम ने अपनी भूख हड़ताल इम्फाल में 14 बेकसूर लोगों की असम रायफल्स के साथ कथित काउंटर में हत्या के बाद शुरू किया। इसके तीन दिन बाद ही उन्होंने आत्महत्या करने की कोशिश की थी. तब वे सिर्फ 27 साल की थीं. वे वहां लगाए गए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट के खिलाफ 14 सालों से आमरण अनशन पर थीं. इरोम ने कहा कि वह एक सिंपल लाइफ जीना चाहती हैं, वोट डालना चाहती हैं और शादी करना चाहती हैं.

क्या है AFSPA?

आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर ऐक्ट ,1958 के तहत सुरक्षा बलों को किसी को देखते ही गोली मार देने, बिना वारंट और बिना जांच के किसी को भी अरेस्ट करने जैसी अनलिमिटेड पावर मिल जाती है. इसके बदले में उन पर कोई केस भी नहीं किया जा सकता. ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स का कहना है कि इस कानून की आड़ में कई बेकसूर जाने गई हैं.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk