मलिकी कहा, ''अल्लाह ने चाहा तो एक हफ्ते के दरम्यान ये सेना असर दिखाने लगेगी. हम आतंकवादियों के अड्डे नष्ट कर देंगे.''
उन्होंने कहा, ''अमरीकी जेट खरीदने का मतलब है लंबी प्रक्रिया से गुजरना. विद्रोहियों का आगे बढ़ना तभी रोका जा सकता है अगर हवाई सुरक्षा अपनी जगह मुकम्मल हो.''
इस्लामी जिहादी संगठन इस्लामिक स्टेट इन इराक़ ऐंड अल-शाम यानी आईएसआईएस और उसके सुन्नी मुसलमान सहयोगी इस महीने इराक के बड़े इलाकों पर कब्जा कर चुके हैं.
मलिकी ने आईएसआईएस के हमलों के बाद पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय प्रसारक के रूप में बीबीसी की अरबी सेवा को इंटरव्यू दिया है.
उन्होंने कहा, ''मुझे ये कहने में कोई हिचक नहीं कि जब हम लोगों ने करार (अमरीका से) पर हस्ताक्षर किए तो हम धोखे में थे.''
मलिकी ने कहा, ''हमें अपनी सेनाओं को हवाई सुरक्षा कवच मुहैया कराने के लिए ब्रितानी, फ्रांसीसी और रूस के जेट लड़ाकू विमानों की तरह व्यवस्था करनी चाहिए थी. यदि हमारे पास हवाई सुरक्षा होती तो जो कुछ हुआ, वैसा नहीं होता.''
दो-तीन दिन में पहुँचेंगे रूसी जेट
इराकी प्रधानमंत्री ने बताया, ''इराक अब रूस और बेलारूस से पुराने जेट लड़ाकू विमान ले रहा है, जिन्हें दो या तीन दिनों में इराक़ पहुंच जाना चाहिए.''
इराक़ सरकार उत्तर और पश्चिम की ओर से चरमपंथियों की बढ़त को रोकने में संघर्ष करती रही है.
इराक़ी सरकार का समर्थन कर रहा अमरीका ज़ोर दे रहा है कि विद्रोहियों को हराने का काम इराक़ की फ़ौजों को ख़ुद करना चाहिए.
इराक़ को ईरान ने भी समर्थन के संकेत दिए हैं, इराक़ के शिया मुसलमान नेताओं के ईरान से नजदीक़ी रिश्ते हैं.
मलिकी ने पुष्टि की कि सीरिया और इराक की सीमा पर सीरियाई सेनाएं इस्लामी विद्रोहियों पर हवाई हमले कर रही हैं.
उन्होंने कहा, ''वो अपना आक्रमण करती हैं और हम अपना. आखिर में विजेता हम दोनों देश ही होंगे.''
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