सब कुछ निर्भर है परवरिश पर
मेरा मानना है कि एक व्यक्तिके तौर पर हम जैसे भी होते हैं, हम जो भी काम करते हैं, जैसे फैसले लेते हैं और जीवन में जो कुछ भी हासिल करते हैं, उसके पीछे सबसे पहले तो हमारी परवरिश होती है। हमें जैसे संस्कार दिए जाते हैं, हम वैसे ही काम करते हैं। परवरिश ही होती है जो हमें जिंदगी में आने वाले मुश्किल वक्त का सामना करने का और आगे बढऩे का हौसला देती है। माता-पिता और परिवार की सिखाई हुई बातें ही हमें ताउम्र हिम्मत देती हैं। मेरी परवरिश जैसी हुई है, मैं आज वैसा ही सोचती हूं और इसीलिए इतनी मजबूती से काम कर पा रही हूं।
घर में मिले बराबरी का दर्जा
अक्सर जब हम लड़के और लड़कियों के बीच बराबरी न होने की बात करते हैं तो ये भूल जाते हैं कि समाज में यह स्थिति अपने आप ही नहीं उत्पन्न हुई बल्कि इसकी शुरुआत हमारे घरों से ही होती है। हम अक्सर लड़कों के मुकाबले लड़कियों को हर छोटी बड़ी बात में रोकते टोकते हैं। जहां लड़कों को पढ़ाया जाता है वहीं लड़कियों के लिए उनकी शादी पर फोकस होता है। मैंने तो अपने घर में ये सब देखा ही नहीं। हम दो बहनें हैं और हमें कभी भी अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोका गया।
जब खुद पर हो विश्वास
आज की तारीख में सिर्फ पढ़ाई लिखाई में ही नहीं बल्कि हर क्षेत्र में लड़कियां अपना परचम लहरा रही हैं, फिर वो स्पोट्र्स हो या आट्र्स। लेकिन इसके लिए खुद लड़कियों में ये विश्वास होना चाहिए कि वो जो करना चाहती हैं, उस काम को हिम्मत के साथ कर सकती हैं। हां, परिवार का साथ हो तो राहें आसान हो जाती हैं लेकिन अगर खुद में साहस हो तो आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता है।
अपनी कद्र करना सीखो
ज्यादातर महिलाएं अपनी उम्र के एक पड़ाव पर आकर महसूस करती हैं कि उन्हें वो सम्मान नहीं मिल रहा जिसकी वो हकदार हैं। अक्सर आप उन्हें कहते हुए सुनेंगे कि हमने तो सबके लिए किया पर हमें क्या मिला। सच तो ये है कि महिलाएं खुद अपनी ही कद्र नहीं करती हैं। घर और परिवार के लिए समर्पित होना गलत नहीं लेकिन इसके साथ ही अपने बारे में भी सोचना चाहिए। अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसके लिए आवाज उठाना जरूरी है, फिर बात छोटी हो या बड़ी।
कर्मों से ही बनता है जीवन
अपनी फिल्म एकलव्य के दौरान मैंने ये सीखा कि धर्म वो नहीं जिसमें हम बंटे हुए हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, इन्हें धर्म का नाम जरूर दिया गया है लेकिन सच्चा धर्म हमारे कर्म ही हैं। हम अपने जीवन में जो कुछ भी पाते हैं, वो सब हमारे कर्मों का ही फल होता है। इसलिए आप लड़की हैं या लड़का, आपको हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप कभी कुछ गलत नहीं कर रहे हैं।
क्या चाहती हूं मैं
लड़कियों के लिए जरूरी है कि वो अपने आपको और अपनी पसंद को दूसरों के अनुसार न ढालें। खुद से पूछें कि आप क्या चाहती हैं। अपने आपको और अपनी शक्तियों को पहचानें। दूसरों के लिए भी जिएं लेकिन उसमें खुद को भूलने की जरूरत नहीं। अपने आपको और अपनी बात को हमेशा ही मजबूती के साथ दूसरों के सामने
रखें। ये न सिर्फ आपके विचारों को सामने लाएगा बल्कि आपमें आत्म-विश्वास भी जगाएगा। अपने जीवन की हर परिस्थिति का सामना करने के लिए आपके अंदर आत्म-विश्वास का होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
मैं भी वहीं करती हूं, जो सोचती हूं
लोग मुझसे कहते हैं कि मैं ज्यादातर महिला प्रधान फिल्में ही क्यों करती हूं। मेरा यही कहना है कि मैं महिला सशक्तिकरण में विश्वास करती हूं। मैं अपने काम के जरिए सभी को यह बताना चाहती हूं कि मैं महिलाओं के बारे में क्या सोचती हूं। महिलाओं की स्थिति को दर्शाते हुए रोल्स मुझे हमेशा ही अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। मैं महिलाओं को समाज में एक स्ट्रॉन्ग पोजीशन पर देखना चाहती हूं और इसीलिए ऐसी फिल्में करती हूं कि थोड़ी बहुत ही सही लेकिन उससे उन्हें कुछ इंस्पिरेशन मिल सके। मैं जिस कैरेक्टर को प्ले करती हूं उसके साथ जुड़ जाती हूं। जब मुझे लगता है कि मैं उस कैरेक्टर के जैसी होना चाहती हूं तभी उसके लिए हां करती हूं।
विमेन एंपॉवरमेंट पहले पर्सनल इश्यू
मैं चाहती हूं कि हमारे देश की सभी महिलाएं खुद को एंपॉवर्ड फील करें, हालांकि ऐसा होने में अभी बहुत वक्त है। लेकिन ये पहले पर्सनल इश्यू है, फिर रीजनल और फिर उसके बाद नेशनल। मुझे लगता है कि हर बीतते दिन के साथ महिलाएं खुद को एंपॉवर्ड फील कर रही हैं। और ये एक छोटा कदम है। लेकिन अगर हम इसको लेकर सीरियस होते हैं तो निश्चित ही यह हमारे लिए अच्छे संकेत हो सकते हैं।
कुछ भी हो, हिम्मत न हारो
वह लाइन तो आपने सुनी ही होगी कि 'मन के हारे हार है और मन के जीते जीत'। महिलाओं को तो सबसे पहले यही समझना चाहिए कि हार तभी होती है जब कोई व्यक्ति मन से हार जाता है। अगर आपने भी परिस्थितियों को अपनी किस्मत समझकर स्वीकार कर लिया है तो यही आपकी सबसे बड़ी हार है। इसलिए जरूरी यह है कि हर परिस्थिति का हिम्मत के साथ डटकर सामना किया जाए। तभी आप अपने घर में और अपने समाज में अपनी जगह बना पाएंगी और अपने सपनों को पूरा कर पाएंगी।
खुद को मारें नहीं, पहचान बनाएं
आप एक महिला हैं या एक पुरुष हैं ये बाद की बात है। सबसे पहले आप एक व्यक्ति विशेष हैं। अगर आप दूसरों के अनुरूप खुद को ढालते हैं तो कहीं न कहीं खुद को मार देते हैं। जरूरी है कि अपने सभी कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए हम अपने आप को मरने न दें। आप खुद की एक विशेष पहचान बनाएं। अगर आप खुद को मरने नहीं देते और लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने में कामयाब होते हैं तो आप जिंदगी में सफल माने जाएंगे।
अपने आपको और अपनी शक्तियों को पहचानें। दूसरों के लिए भी जिएं लेकिन उसमें खुद को भूलने की जरूरत नहीं। अपने आपको और अपनी बात को हमेशा ही मजबूती के साथ दूसरों के सामने रखें। ये न सिर्फ आपके विचारों को सामने लाएगा बल्कि आपमें आत्म-विश्वास भी जगाएगा। अपने जीवन की हर परिस्थिति का सामना करने के लिए आपके अंदर आत्म-विश्वास का होना सबसे ज्यादा जरूरी है।
Report By : Kratika Agrawal
kratika.agrawal@inext.co.in
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