बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की ओर से कराए गए सर्वे में ये बात सामने आई है. दुनिया के 17 देशों में कराए गए इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 52 प्रतिशत लोगों का कहना है कि 'इंटरनेट अपनी बात रखने के लिए एक सुरक्षित जगह नहीं है'. हालांकि 40 फ़ीसदी ऐसे लोग भी हैं जो इंटरनेट को सुरक्षित मानते हैं.

भारत में 67 फ़ीसदी लोग इंटरनेट को एक सुरक्षित स्थान मानते हैं.

इस सर्वे को कराने वाली एजेंसी 'ग्लोब स्कैन' ने बीते साल दिसंबर महीने से लेकर फ़रवरी 2014 तक बीच दुनियाभर में 17 हज़ार से भी ज्यादा लोगों के बीच यह सर्वेक्षण कराया.

इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के 'फ्रीडम लाइव' कार्यक्रम के एक हिस्से के तौर पर जारी की गई है.

बीबीसी वर्ल्ड सर्विस की 28 भाषायी सेवाओं ने दुनियाभर में आज़ादी से जुड़ी कहानियों की पड़ताल की है और इसे 'फ्रीडम लाइव' के नाम से प्रसारित किया जाएगा.

सरकारी निगरानी

'अभिव्यक्ति के लिए इंटरनेट सुरक्षित जगह नहीं'

सर्वेक्षण के नतीजों से ये पता चलता है कि दो में से एक व्यक्ति ये मानता है कि अभिव्यक्ति के लिए इंटरनेट सुरक्षित जगह नहीं है. दो तिहाई लोग (67 फ़ीसदी) कहते हैं कि इंटरनेट की वजह से उन्हें बहुत आज़ादी महसूस होती है जबकि केवल 25 फ़ीसदी लोग इस राय से सहमत नहीं हैं.

सर्वे में शामिल होने वाले दुनिया के 17 देशों में हर तीन में से एक नागरिक का ये कहना है कि वे सरकारी निगरानी को लेकर सहज नहीं है. सर्वेक्षण का हिस्सा बने पाँच देशों में इस पैमाने पर हालत बहुत ख़राब थे. अमरीकी और जर्मन लोगों का एक बड़ा तबक़ा भी इंटरनेट पर सरकारी निगरानी को लेकर सहज नहीं है. 54 फ़ीसदी अमरीकी और 51 फ़ीसदी जर्मन लोगों की ये राय थी.

लेकिन इसके ठीक विपरीत सर्वेक्षण में ये देखा गया कि चीन, इंडोनेशिया और रूस जैसे देशों में एक बड़े तबक़े को सरकारी निगरानी पर कोई एतराज नहीं था. 76 फ़ीसदी चीनी, 61 फ़ीसदी रूसी और इंडोनेशिया के 69 फ़ीसदी लोग इंटरनेट पर सरकारी निगरानी को लेकर सहज हैं.

मीडिया की आजादी

'अभिव्यक्ति के लिए इंटरनेट सुरक्षित जगह नहीं'

सर्वेक्षण से ये पता चलता है कि मीडिया की आज़ादी का भी स्तर गिरा है. साल 2007 और 2014 में आठ देशों में कराए गए सर्वेक्षण के मुताबिक़ अपने देश में मीडिया को आज़ाद मानने वाले लोगों की संख्या में एक तिहाई की गिरावट आई है.

मीडिया ख़बरों को सटीक, सही और बिना किसी का पक्ष लिए पेश करता है, इन सात वर्षों में ये मानने वाले लोगों की संख्या गिरकर 59 से 40 फ़ीसदी हो गई है. कीनिया में यह गिरावट (37 अंक) सबसे ज्यादा है. कीनिया के बाद भारत का नंबर (23 अंक) आता है और फिर रूस 20 अंकों के साथ तीसरे नंबर पर है.

ब्रिटेन और अमरीका में सर्वेक्षण के लिए जवाब देने वालों का एक छोटा तबक़ा अब यह महसूस करना लगा है कि मीडिया उनके देश में आज़ाद हैं जबकि साल 2007 में ऐसा मानने वाला तबक़ा बहुत बड़ा था. आज़ादी के इस सर्वेक्षण में दूसरे मुद्दे भी थे.

धार्मिक अधिकार

'अभिव्यक्ति के लिए इंटरनेट सुरक्षित जगह नहीं'सर्वेक्षण में भाग लेने वाले सभी 17 देशों का बहुमत वाला तबक़ा ये मानता है कि धार्मिक मसलों पर उनके देश में बहुत आज़ादी है. ऐसी राय रखने वाले लोगों की संख्या 87 फ़ीसदी थी.

86 फ़ीसदी लोगों की ये राय है कि उनके देश में पसंदीदा जीवन साथी चुनने की आज़ादी है और 75 फ़ीसदी लोग मानते हैं कि वे अपने देश में किसी चीज के बारे में अपनी राय खुल कर ज़ाहिर कर सकते हैं.

सर्वेक्षण का संचालन करने वाली एजेंसी ने 17 देशों के 17,589 वयस्क नागरिकों से फ़ोन पर और बात कर सवाल पूछे.

इंटरनेशनल पोलिंग फ़र्म ग्लोब स्कैन ने अपनी सहयोगी एजेंसियों के साथ दिसंबर 2013 से फरवरी 2014 के बीच इस सर्वेक्षण को पूरा किया.

InextLive@123

Technology News inextlive from Technology News Desk