जेल अधिकारियों ने साफ़ कर दिया है कि वे स्टीफ़न को वहां नहीं रखना चाहते हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि स्टीफ़न अपनी बात पर अड़े हुए हैं कि वे कपड़े नहीं पहनेंगे.

और शायद यही वजह है कि यह ब्रिटेन का शायद सबसे विचित्र क़ानूनी विवाद बन गया है.

स्टीफ़न को 18 बार मुजरिम क़रार दिया जा चुका है और वह मई 2006 से लगातार जेल में बंद हैं.

कई बार तो ऐसा हुआ कि वे जेल से बाहर निकले और फिर उन्हें उसी जगह गिरफ़्तार कर लिया गया क्योंकि वे कपड़े पहनने से मना कर देते हैं.

उन्हें जिस अपराध का दोषी क़रार दिया जाता है उनमें शांति भंग करने की कोशिश और शेरिफ़ के सामने कपड़े पहनने से इनकार करना शामिल है.

नग्न यात्रा

उन्होंने 2003-04 और फिर 2005-06 में नग्न होकर लंबी यात्रा की थी. उस समय वह केवल जूते और हैट पहने हुए थे और कंधों पर एक बैग लिए हुए थे.

इस साल जुलाई में 53 वर्षीय स्टीफ़न गफ़ को पर्थ की जेल से रिहा होने के बाद बिन कपड़ों के बाहर जाने की इजाज़त दे दी गई थी.

लेकिन सिर्फ़ तीन दिनों के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर अदालत के सामने पेश किया गया क्योंकि वह बच्चों के एक पार्क के सामने से बिन कपड़ों के ग़ुज़रे थे.

स्कॉटलैंड के एक अधिकारी एड्रियन कॉटम का इस बारे में कहना है, ''पुलिस के ज़रिए बार-बार अनुरोध किए जाने के बाद भी गफ़ जानबूझकर बच्चों और उनके माता-पिता को झटका देते हैं.''

अदालत के अनुसार आम जनता ख़ासकर बच्चों की भावना को भी नज़रअंदाज़ करने की गफ़ की प्रवृत्ति से पता चलता है कि वह काफ़ी घमंडी हैं.

अदालत इस बात से भी काफ़ी नाराज़ थी कि गफ़ ने सामाजिक कार्यकर्ताओं को उनकी मानसिक हालत की जांच करने से भी मना कर दिया था.

स्टीफ़न गफ़ ने आख़िरी बार फ़रवरी 2006 में लंबी यात्रा की थी और उत्तरी स्कॉटलैंड की बर्फ़बारी में भी वह बिन कपड़ों के यात्रा करते रहे थे.

उसी साल मई के महीने में एक हवाई यात्रा के दौरान वह टॉयलेट में जाकर नंगे हो गए थे. हवाई जहाज़ के लैंड करने के बाद उन्हें हवाई अड्डे पर ही गिरफ़्तार कर लिया गया और तब से वह जेल में हैं.

स्कॉटलैंड के जेल अधिकारी के अनुसार उन्हें दूसरे बंदियों से अलग रखा जाता है और उनसे रोज़ाना पूछा जाता है कि क्या वह कपड़े पहनने को तैयार हैं.

एक अधिकारी के अनुसार ब्रिटेन में एक क़ैदी पर सालाना लगभग 40 हज़ार पाउंड ख़र्च होते हैं और अगर उसे दूसरे क़ैदियों से अलग रखा जाता है तो ख़र्च और बढ़ जाता है.

स्टीफ़न गफ़ का मानना है कि सार्वजनिक रूप से नग्न रहना उनका मौलिक और निजी अधिकार है.

नग्नता और मानवाधिकार

मार्च 2012 में गार्डियन अख़बार को दिए साक्षात्कार में गफ़ ने कहा था, ''मानव शरीर किसी भी तरह अप्रिय नहीं है. अगर मानव होकर हम ऐसा नहीं मानते हैं तो ये तार्किक बात नहीं है.''

गफ़ बिन कपड़ों के पूरे ब्रिटेन की यात्रा करना चाहते हैं लेकिन अदालत उन्हें इसकी इजाज़त नहीं देती. अदालत के मुताबिक़ नग्न रहना कोई मानवाधिकार नहीं है.

लेकिन ब्रिटिश नेचुरिज़म के मैनेजर एंड्रयू वेल्च के अनुसार ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि नग्नता से किसी को नुक़सान पहुंचता है और नग्न रहना ग़ैर-क़ानूनी नहीं है.

वकील ग्रेज़िया रॉबर्ट्सन की राय भी कुछ इसी तरह की है. वह कहती हैं, ''अगर कोई ग़लत जगह पर खांस दे तो आप उसके लिए क़ानून नहीं बनाते फिरेंगे. सिर्फ़ इसलिए कि कोई बुज़ुर्ग महिला गफ़ को देखकर दंग रह गई, इससे ये साबित नहीं होता कि इससे क़ानून का उल्लंघन हुआ है.''

लेकिन सवाल यह है कि अगर गफ़ नग्न रहने के अपने फ़ैसले पर अड़े रहे तो स्कॉटलैंड का क़ानून क्या कर सकता है.

एक तो यह है कि उन्हें स्कॉटलैंड से इंग्लैंड लाया जाए. अधिकारियों ने इसकी कोशिश भी की थी लेकिन वे सफल नहीं हुए.

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कोई तालमेल बैठाना क्योंकि स्टीफ़न गफ़ की वजह से लोगों को अटपटा ज़रूर लगता होगा लेकिन उन्हें कोई हानि नहीं पहुंचती है.

या फिर इस बात का इंतज़ार किया जाए कि वह इतने बीमार हो जाएं कि ख़ुद कपड़े पहन लें.

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