भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले के अनुसार इस अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत सरकार के अनुरोध पर क़दम उठाए हैं। लेकिन आख़िर ये अंतरराष्ट्रीय न्यायालय काम कैसे करता है और इसके अधिकार क्या हैं।
क्या है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है। इसकी स्थापना 1945 में हॉलैंड के शहर हेग में हुई थी और अगले साल इसने काम करना शुरू कर दिया।
क्या है अधिकारक्षेत्र?
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस की वेबसाइट के अनुसार इसका काम कानूनी विवादों का निपटारा करना है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा उठाए कानूनी प्रश्नों पर राय देना है।
यानी इसके दो ख़ास कर्तव्य हैं: अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार यह कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है, दो पक्षों के बीच विवाद पर फैसले सुनाता है और संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों के अनुरोध पर पर राय देता है।
संयुक्त राष्ट्र के न्यायालय में 15 न्यायाधीश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के लिए चुने जाते हैं।
इसकी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच हैं। यह एक कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस एक विश्व न्यायालय के रूप में काम करता है।
भारत का रुख़
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया है कि चार कारणों से भारत सरकार ने कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है।
- पहला कारण था पाकिस्तान के ज़रिए काउंसलर सेवा मुहैया कराने से इंकार करना।
- दूसरा कारण कुलभूषण जाधव से जुड़े क़ानूनी दस्तावेज़ की कॉपी देने से पाकिस्तान सरकार का इंकार करना है
- तीसरे कारण है जाधव की माँ की अपील पर पाकिस्तान की ख़ामोशी
- चौथा कारण रहा कुलभूषण जाधव के परिवार वालों को वीज़ा देने से पाकिस्तान का इंकार करना
उधर पाकिस्तानी सरकार ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की तरफ से पाकिस्तानी अदालत को कोई आदेश नहीं मिला है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने बीबीसी से कहा है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार- क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
भारतीय मीडिया के मुताबिक हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मामले में पाकिस्तान से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि कुलभूषण जाधव को सभी विकल्पों पर विचार करने से पहले फांसी न दी जाए। मगर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस खबर की पुष्टि करने से इंकार कर दिया है।
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