Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz

राजनीतिक उठापटक :

कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और फिर केंद्र में रेल मंत्री भी रहे। कमलापति की शख्सियत काफी अलग थी, जिसके चलते देश की राजनीति में उनसे जुड़े कई किस्से लिखे और सुनाए जाते हैं। कमलापति का राजनीति करियर भी स्वतंत्रता आंदोलन के साथ ही शुरु हुआ था, अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। साल 1937 में वह पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद कई सालों तक विधायक रहने के बाद उन्हें 1952 में सूचना तथा सिंचाई मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। यह ऐसा दौर था जब पंडित कमलापति त्रिपाठी की साख बढ़ती जा रही थी। खासतौर में कांग्रेस पार्टी के अंदर वह सबसे चर्चित चेहरा बन चुके थे।

उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहे पंडित जी ने प्रधानमंत्री बनने का प्रस्‍ताव ठुकरा दिया था
महत्वपूर्ण फैसले :
पंडित कमलापति त्रिपाठी को 4 अप्रैल 1971 को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और करीब दो साल 69 दिनों तक वह इस पद पर रहे। बाद में 12 जून 1973 को पंडित जी ने सीएम की कुर्सी छोड़ दी। पंडित जी का राजनीतिक करियर यहां नहीं रुका, बाद में वह 1975 से 1977 और फिर 1980 में रेलमंत्री के पद पर रहे। कमलापति ऐसे नेता थे जो 80 के दशक में इंदिरा गांधी जैसी दिग्गज नेता से वैचारिक मतभेद रखने का माद्दा रखते थे। 24 अक्टूबर 1980 की बात है, उस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अपनी सरकार के कई विभागों के कामकाज की तारीफ के दौरान कहा था कि जनता पार्टी की सरकार में बिगड़ी व्यवस्था एक-एक कर पटरी पर आ रही है लेकिन रेल विभाग का काम अभी आशा के अनुरूप नहीं हो पा रहा है।
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इस टिप्पणी के बाद ही सरकार में दूसरी बार रेल मंत्री बने पंडित जी ने इस्तीफा दे दिया था। 23 नवंबर, 80 को इंदिरा ने एक पत्र में लिखा कि- मुझे दुख है कि त्रिपाठी जी ने इस्तीफा दे दिया। मैं चाहती हूं कि वह कैबिनेट में रहें। तब 17 दिन तक इंदिरा ने पंडित जी से बात करने और इस्तीफा वापस कराने के लिए इंतजार भी किया था लेकिन पंडित जी ने अपना निर्णय नहीं बदला।
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पीएम पद का प्रस्ताव ठुकराया

मार्च 1987 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बीच मतभेद गहरा गए थे, तब की एक सनसनी खेज राजनीतिक घटना का खुलासा कमलापति त्रिपाठी की चिट्ठियों से होता है। डाक विधेयक को लेकर यह मतभेद इस कदर गहरा गया था कि राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह राजीव सरकार को बर्खास्त कर वैकल्पिक सरकार के गठन की योजना बना चुके थे। तब एक रात ज्ञानी जैल सिंह ने अपने करीबी पत्रकार को दूत के रूप में भेजकर पंडित जी को वैकल्पिक सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव भिजवाया था। पंडित जी ने तब कहा था कि ऐसा करना मेरी प्रवृत्ति और संस्कार दोनों में नहीं है।

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काम :
रेल मंत्री के तौर पर पंडित कमलापति त्रिपाठी ने कई बड़े-बड़े काम किए थे। पंडित जी ने कई नई ट्रेनें भी चलवाईं थी।
Sabarmati Express
Ganga Kaveri Express
Neelambari Express
Varanasi Express (Delhi-Lucknow Exp. extended)
Tamil Nadu Express
Kashi Vishwanath Express

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व्यक्ितगत जीवन :
पंडित कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितंबर 1905 को वाराणसी में हुआ था। पंडित जी ने काशी विद्यापीठ से शास्त्री और डी.लिट की उपाधि भी ली। कमलापति की शादी चंद्रा त्रिपाठी से हुई और इनके तीने बेटे और दो बेटी हैं। पंडित जी आजीवन कांग्रेसी रहे। चार पीढ़ियों से उनका परिवार कांग्रेस में है। कमलापति के बेटे लोकपति त्रिपाठी भी मंत्री बनें। वे कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सके। लोकपति त्रिपाठी की पत्नी चंद्रा त्रिपाठी चंदौली लोकसभा से सांसद रही हैं। लोकपति त्रिपाठी के बेटे राजेशपति त्रिपाठी चुनाव लड़े। राजेशपति त्रिपाठी के बेटे ललितेशपति त्रिपाठी इस वक्त मड़ियान से विधायक हैं। पंडित जी का निधन 8 अक्टूबर 1990 को हुआ।

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