Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaaz
राजनीतिक उठापटक :
भारतीय राजनीति में पुरुषों की संख्या भले ही ज्यादा हो, लेकिन हमारे यहां की महिलाओं ने भी कई बड़े-बड़े काम करके राजनीति की दशा और दिशा दोनों बदल दी है। इसमें सबसे पहला नाम आता है देश की पहली महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी का। आजादी के 15 साल बाद ही पुरुषवादी समाज के बीच से निकलकर सूबे की मुखिया बनीं सुचेता कृपालनी का राजनीतिक सफर आसान नहीं था। उस समय जब देश में स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी जल रही थी, उसे शोला बनाने वालों में सुचेता भी एक थीं। सुचेता कृपलानी ने भारत छोड़ो आंदोलन में योगदान दिया और नोआखली में महात्मा गांधी के साथ दंगा पीडित इलाकों में गांधी जी के साथ चलते हुए पीड़ित महिलाओं की मदद की।
वह एक ऐसी महिला थीं, जिसमें जुझारूपन कूट-कूट कर भरा था। अपने जुझारूपन और सूझ-बूझ का उदहारण उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया। आंदोलन के दौरान जब अंग्रेजी सरकार ने सारे पुरुष नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया तब सुचेता कृपलानी ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए कहा, ‘बाकियों की तरह मैं भी जेल चली गई तो आंदोलन को आगे कौन बढ़ाएगा।’ इस दौरान भूमिगत होकर उन्होंने कांग्रेस का महिला विभाग बनाया और पुलिस से छुपते-छुपाते दो साल तक आंदोलन भी चलाया। सन 1946 में वह संविधान सभा की सदस्य चुनी गयीं और 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में वन्देमातरम् भी गाया। सन 1958 से लेकर सन 1960 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महासचिव भी रहीं। बस यहीं से उनके राजनीतिक सफर की नई शुरुआत हुई।
महत्वपूर्ण फैसले :
आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में सुचेता कृपलानी नई दिल्ली लोकसभा सीट से 1952 व 57 में लगातार 2 बार सांसद चुनी गईं। इसके बाद 1962 में कानपुर से उत्तरप्रदेश विधानसभा की सदस्य चुनीं गयीं। सन 1963 में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। और करीब 3 साल 162 दिनों तक वह सीएम पद पर रहीं। उनके कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में जो मामला था, वो कर्मचारियों की हड़ताल थी। लगभग 62 दिनों तक चली इस हड़ताल को सुचेता ने बखूबी सामना किया। अंत में सुचेता ने फर्म के अधिकारियो की सहायता से कर्मचारियों की मांगो को पूरा करे बिना हड़ताल को तुड़वा दिया।
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काम :
सुचेता काफी सह्दय स्वभाव की थीं। जरूरतमंद की सेवा करने में वह कभी भी नहीं हिचकीं। बात अगर सीएम पद की करें तो प्रशासनिक मामलों में उन्होंने हमेशा बोल्ड डिसीजन लिए।
व्यक्ितगत जीवन :
सुचेता कृपलानी का जन्म एक बंगाली परिवार में 25 जूनए 1908 को भारत के हरियाणा राज्य के अम्बाला शहर में हुआ और उनकी शिक्षा लाहौर और दिल्ली में हुई। उनके पिता एस.एन मजूमदार राष्ट्रिय आन्दोलन के समर्थक थे। सुचेता कृपलानी ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ कॉलेज और सेंट स्टीफन कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद सुचेता बनारस हिंदु यूनिवर्सिटी में लेक्चरार बन गईं। 1936 में उनका विवाह आचार्य जे. बी. कृपलानी से हुआ।
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