Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in
@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :
कलेक्टर बनने का सपना लिए दिन-रात पढ़ाई में मगन रहने वाली मायावती ने कभी नहीं सोचा था कि वो राजनेता बन जाएंगे। पढ़ाई में तेज होने के चलते मायावती ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की और एक आईएएस अधिकारी बनकर देश सेवा का सपना देखा। कहते हैं न किस्मत से ज्यादा किसी को कुछ नहीं मिलता। बात 80 के दशक की है जब मायावती के प्रतिभा के बारे में कांशीराम जी को पता चला तो वह सीधे मायावती के घर उनसे मिलने पहुंचे। तब दोनों के बीच बातचीत के दौरान कांशीराम को पता चला कि मायावती कलेक्टर बनकर अपने समाज के लोगों की सेवा करना चाहती हैं, तो उन्होंने मायावती से कहा कि मैं तुम्हें मुख्यमंत्री बनाऊंगा और तब तुम्हारे पीछे एक नहीं कई कलेक्टर फाइल लिए तुम्हारे आदेश का इंतजार करेंगे।
बस यहीं से मायावती की विचारधारा बदल गई और वह कांशीराम के साथ चल पड़ी। जब 1984 में कांशीराम द्वारा 'बहुजन समाज पार्टी' (बीएसपी) का गठन किया गया। उस समय मुजफ्फरनगर जिले की कैराना लोकसभा सीट से मायावती जी को चुनाव लड़ाया गया। इसके बाद हरिद्वार और बिजनौर सीट के लिए भी मायावती को ही प्रतिनिधि बनाया गया। पहली बार बिजनौर सीट से जीतने के बाद ही मायावती लोकसभा पहुँच गयी थीं। वर्ष 1995 में वे राज्यसभा की सदस्य भी रहीं। 1995 में मायावती पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। इसके पश्चात वे दोबारा 1997 में मुख्यमंत्री बनीं। वर्ष 2001 में कांशीराम ने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। इसके बाद 2002 में 'भारतीय जनता पार्टी' के समर्थन के साथ वह फिर मुख्यमंत्री बनीं।
गेस्ट हाउस कांड रहा सबसे चर्चित
साल 1993 में बसपा और सपा ने मिलकर सरकार बनाई थी और मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। 1 जून 1995 को मुलायम सिंह को ये खबर मिली की मायावती ने गवर्नर मोतीलाल वोहरा से मिलकर उनसे समर्थन वापस ले लिया है और वह बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बनने वाली हैं। तो मुलायम हैरान रह गए। 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ के स्थित गेस्ट हाऊस के कमरा नंबर-1 में पार्टी नेताओं के साथ अगामी रणनीति तय कर रहीं कि तभी करीब दोपहर 3 बजे अचानक गुस्साए सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाऊस पर हमला बोल दिया। घबराई मायावती ने इस दौरान पार्टी नेताओं के साथ स्वंय को इस गेस्ट हाउस में घंटों का बंद कर लिया। इस घटना ने प्रदेश की राजनीति का रूख हमेशा के लिए बदल दिया। गेस्ट हाऊस कांड के तीसरे दिन यानी 5 जून 1995 को बीजेपी के सहयोग से मायावती ने पहली बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। और कांशीराम ने वो अपना सपना पूरा कर किया जो कभी उन्होंने मायावती को दिखाया था। इस समय मायावती की उम्र महज 39 साल की थी। यह एक ऐतिहासिक पल जब था जब देश की प्रथम दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं थी।
काम और फैसले :
सत्ता में आने के बाद से ही मायावती ने अनियमितताओं को समाप्त करने का प्रयत्न किया। शिकायत थी कि कई विभागों में होने वाली भर्तियों में धाँधली की गई है। मायावती ने संस्थानों में होने वाली भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए भी कड़े प्रयत्न किए। उनके द्वारा किए जा रहे सामाजिक सुधारों की सूची में गैर दलित वर्गों के लोगों के उत्थान के साथ निम्न और दलित वर्गों के लोगों को आरक्षण देने की भी व्यवस्था की गई है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में दलित वर्ग के लोगों के लिए सीट आरक्षित हैं।
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मायावती एक बार जेल भी जा चुकी हैं। दिसंबर 1991 की बात है, बुलंदशहर में मायावती और एक डीएम के बीच मतपत्र देखने के लिए छीना-झपटी और हाथापाई हो गई थी। इस मामले में माया को इलाहाबाद के नैनी सेंट्रल जेल में बद कर दिया गया था।
मायावती एकमात्र ऐसी राजनेता हैं जिन्होंने महापुरुषों के नाम पर जिलों के नाम बदले ही खुद अपने नाम का एक भी एक जिला घोषित कर दिया। उन्होंने हाथरस का नाम बदलकर महामाया नगर कर दिया था। साल 2007 के बाद मायावती का कई विवादों में नाम आया। चाहे वह नोटों की माला पहनने का हो या फिर विदेश से अपने सैंडल मंगवाने का। मायवती हमेशा सूट क्यों पहनती हैं इसके पीछे भी एक कहानी है। बताया जाता है कि साल 1992 में एक कार्यकर्ता ने मायावती को सूट गिफ्ट किया था, तब से लेकर आज तक उन्होंने सूट के अलावा और कोई ड्रेस नहीं पहनी।
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व्यक्ितगत जीवन :
मायावती नैना कुमारी का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रभुदास और माता का नाम रामरती था। मायावती का संबंध गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव 'बादलपुर' से है। उनके पिता प्रभुदास, गौतमबुद्ध नगर के ही डाक विभाग में कार्यरत थे। आर्थिक दृष्टि से पिछड़े परिवार से संबंधित होने के बावजूद इनके अभिभावकों ने अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा। मायावती ने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' के 'कालिंदी कॉलेज' से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 'दिल्ली विश्वविद्यालय' से एल.एल.बी. की परीक्षा और 'वी.एम.एल.जी. कॉलेज', गाजियाबाद ('मेरठ यूनिवर्सिटी') से बी.एड. की उपाधि प्राप्त की। राजनीति में आने से पहले मायवती एक सरकारी स्कूल में अध्यापिका थीं। मायावती अविवाहित हैं और 'बहन जी' नाम से मशहूर हैं।
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