Story by : abhishek.tiwari@inext.co.in

@abhishek_awaazराजनीतिक उठापटक :

राजनीति कब, कौन सा रंग दिखाएगी यह कोई नहीं जान सकता। नेता पूरी जिंदगी रणनीति और कूटनीति बनाते रहते हैं फिर भी मुख्यमंत्री जैसे पद पर पहुंचना उनके लिए अधूरा सपना सा रहता है। वहीं कुछ किस्मत के धनी हैं जिनके पास सीएम की कुर्सी खुद चलकर आती है। ऐसे ही नेता हैं राम प्रकाश गुप्ता भी, जो 76 साल की उम्र में यूपी के मुख्यमंत्री बने। जिस समय उन्हें मुख्यमंत्री पद सौंपा गया, उस वक्त भाजपा में कई और बड़े चेहरे थे मौका राम प्रकाश के हाथ आया।

यूपी के सबसे बुजुर्ग मुख्‍यमंत्री,जो अपने ही मंत्रियों के भूल जाते थे नाम

राम प्रकाश कॉलेज के वक्त ही राजनीति से जुड़ गए थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था। साल 1948 में वह जनसंघ से जुड़े और आठ साल बाद जनसंघ के संगठन मंत्री बना दिए गए। 1964 में इन्हें यूपी विधान परिषद में चुना गया। इसी बीच 1967 में चौधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री भी बने। फिर उप-मुख्यमंत्री बनाए गए। 1975 में इमरजेंसी के खिलाफ यूपी में सत्याग्रह हुआ। जून 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर वह पहली बार विधान सभा पहुंचे। इसी साल वो रामनरेश यादव की सरकार में भी मंत्री बने। उस वक्त राम प्रकाश जी ऐसे दौर से गुजर रहे थे, कि उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था। राज्य के नेताओं में इनका कद घटने लगा पर किस्मत ने बाजी पलटी और 1993 में दोबारा विधानसभा पहुंचे। फिर 12 नवंबर 1999 को इनका वक्त भी आया। भाजपा अपनी ही राजनीति से परेशान थी। सब लोग एक साथ मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। तो पार्टी ने गुमनाम रामप्रकाश गुप्ता को गद्दी पर बैठा दिया।

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राम प्रकाश को थी भूलने की बीमारी

एक साल से भी कम राज्य के मुख्यमंत्री रहे राम प्रकाश जी काफी भुलक्कड़ भी थे। उन पर पार्टी नेताओं ने भुलक्कड़ शैली और अकर्मण्यता के आरोप लगाए। इस दौरान उनके कई किस्से भी मशहूर हो गए कि किस तरह से वे अपने ही मंत्रिमंडल के सदस्यों के नाम भूल जाया करते थे। यही नहीं स्पीच के दौरान बोलना कुछ और था, वो कह कुछ और जाते थे। बहरहाल, पार्टी में उनके प्रति बढ़ते असंतोष और आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा ने एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन का फ़ैसला किया। राज्य की सत्ता संभालने के एक साल के भीतर ही पार्टी आलाकमान ने गुप्ता को इस्तीफा देने का आदेश दिया और 28 अक्टूबर 1999 को राजनाथ सिंह ने कुर्सी संभाल ली।

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व्यक्ितगत जीवन :

राम प्रकाश गुप्ता का जन्म 26 अक्टूबर 1924 को झांसी जिले के सुकवां-ढुकवां में हुआ था। बाद में बुलंदशहर के सिकंदराबाद में रहने लगे थे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मैथ से एमएससी किया और गोल्ड मेडलिस्ट बने। कॉलेज के वक्त ही राजनीति से जुड़ गए थे।

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महत्वपूर्ण बातें :

1. 13 अप्रैल 1967 से 25 फरवरी 1968 तक वे उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पद पर रहे। उन्होंने अपने इस कार्यकाल में शिक्षा के क्षेत्र में, राज्य की शिक्षा व्यवस्था में रचनात्मक सुधार हेतु अनेक निर्णय लिये एवं शिक्षकों को बैंक से वेतन भुगतान करने का निर्णय लिया।

2. 1977 में राम प्रकाश जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री भी रहे।

3. इन्हें ज्योतिषी शास्त्र का काफी ज्ञान था। बताते हैं कि एक बार उन्होंने राजनाथ सिंह का हाथ देखकर कहा था कि, वो मुख्यमंत्री बनेंगे और यह सच साबित हुआ।

4. दिनांक 7 मई, 2003 से 01 मई, 2004 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे।

5. 1 मई 2004 को 80 साल की उम्र में वह दुनिया को अलविदा कह गए।

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