कानपुर। पेप्सिको की पूर्व चेयरमैन और सीइओ इंदिरा नूई आज अपना 64वां जन्मदिन मना रही हैं। इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के मुताबिक, इंदिरा नूई का जन्म 28 अक्टूबर, 1955 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। उनके पिता स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में मैनेजर और दादा जिला जज थे। उन्होंने आईआईएम कोलकता से मैनेजमेंट का कोर्स पूरा किया। 2001 में इंदिरा ने पेप्सिको ज्वाइन किया। बता दें कि इंदिरा ने पेप्सिको में सीईओ (2006-18) और चेयरमैन (2007-19) के रूप में काम किया। 2007-08 में इंदिरा को टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में जगह दी थी। वहीं 2007 में भारत सरकार ने इंदिरा को पद्म विभूषण के सम्मान से नवाजा था। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम उनके उन पांच आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके जरिये वह अपने जीवन में सफल हुईं।
एक प्रेसिडेंट के रूप में करें अपनी कल्पना
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बचपन में, नूई और उनकी बहन को एक असामान्य खेल खेलने के लिए कहा गया था। डिनर पर हर एक रात, उनकी मां अपनी बेटियों से यह कल्पना करने के लिए कहती थीं कि यदि वह प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या दुनिया की बड़ी नेता बनती हैं तो वे क्या करेंगी। रात के खाने के बाद दोनों बहनें मां के सामने एक भाषण प्रस्तुत करती थीं, जिसके बाद मां यह फैसला लेती थीं कि वह किसको वोट देंगी। हालांकि, उनकी मां ने कभी भी करियर को लेकर दबाव नहीं डाला। वह हमेशा उनका सपोर्ट करती थीं। इस खेल ने नूई के आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद की। बाद में, जब वह बिजनेस स्कूल में पढ़ने गईं तो उनके कुछ पुरुष सहपाठी उनकी क्षमताओं पर संदेह करते थे और यहां तक कि उनके साथ रहने से भी इनकार कर देते थे। एक बार नूई ने कहा था कि जब सारे जगह से लोग फेल हो जाते थे, तो वे उनके पास जाते थे और कहते थे, 'ठीक कर दो,' क्योंकि मुझे पता था कि मैं इसे कर सकती हूं। याद रखें, आत्मविश्वास से आप भारत के राष्ट्रपति भी बन सकते हैं।
अपनी स्किल को विकसित करें
नूई कहती हैं कि आप अपने अंदर एक खास प्रतिभा या कौशल खोजें, जिसमें आप सबसे अच्छा परफॉर्म कर सकते हैं और लोगों को ऐसा एहसास हो कि आपके अलावा उस प्रॉब्लम को दूसरा कोई हल नहीं कर सकता है। एक बार नूई ने कहा था, 'अपने पूरे करियर में मैं जो कुछ भी सीखीं हूं तो वह है मुश्किल काम को आसान बनाना, चाहे जो भी मसला हो। कोई मुझे एक मुश्किल काम देता है मैं एक छात्र बन जाती हूं। मुझे इस बात की परवाह नहीं होती है कि मैं सीईओ, प्रेसिडेंट या सीएफओ हूं। मैं एक छात्र बन जाती हूं।' वह कहती हैं कि अपने अंदर एक खास प्रतिभा या कौशल खोजें, वही हमेशा आपके काम आएगा।
आप ग्राहक की तरह सोचें
एक इंटरव्यू में इंदिरा ने कहा था, 'मैं एक दुकानदार हूं। इसलिए मुझे अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए हर एंगल से सोचना चाहिए। अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए आप एक ग्राहक की तरह सोचें, इससे हर तरह के एंगल पर अच्छा विचार आता है। मैं भी ऐसा करती हूं, सभी तरह से सोचने के बाद मैं अपने लोगों से इस बारे में चर्चा करती हूं कि मैंने जो देखा वह अच्छा था या वास्तव में अच्छा नहीं था। क्योंकि मैं सिर्फ एक सीईओ नहीं हूं बल्कि एक उपभोक्ता भी हूं।'
सभी को दें धन्यवाद
पेप्सिको में सीईओ बनने के कुछ समय बाद, नूई अपनी मां से मिलने के लिए भारत आईं। इस दौरान उनके घर पर कई लोग आए और उन्हें बधाइयां दी। यात्रा के बाद, नूई ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के माता-पिता को 400 से अधिक पत्र लिखे, उनका आभार व्यक्त किया। माता-पिता ने जवाब दिया कि वे खुद को बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। नूई के कुछ अधिकारियों ने उन्हें बताया, 'यह मेरे माता-पिता के लिए अब तक की सबसे अच्छी बात हुई है। इससे हम भी बहुत खुश हैं।' इसलिए उनका कहना है कि हमेशा सभी को धन्यवाद दें।
बनें मजबूत
नूई तब बहुत चिंतित थी जब उन्हें सीएफओ से सीईओ बना दिया गया। इस दौरान उनके सामने कई चुनौतियां आईं लेकिन उन्होंने डट कर उनका सामना किया। वह लगातार कड़ी मेहनत करती रहीं, जिससे कंपनी को आगे चलकर बहुत फायदा हुआ। वह कहती हैं कि हमेशा खुद मजबूत बनाकर रखना चाहिए।
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