Indias first lady doctor Kadambini Ganguly
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कादंबिनी गांगुली : वह भारत ही नहीं दक्षिण एशिया में भी पहली लेडी डॉक्टर थीं
डॉक्टर्स भगवान का रूप होते हैं। हम आपको आज उस भारतीय महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो भारत ही नहीं पूरे ब्रिटिश सामराज्य में पहली महिला ग्रेजुएट थीं। वो दक्षिण एशिया की पहली महिला फिजीशिएन थीं। 


1- 18 जुलाई 1861 को बिहार के भागलपुर में जन्मी कादंबिनी गांगुली को भारत की पहली महिला फिजीशिएन कहा जाता है। वो ब्रिटिश भारत की पहली महिला ग्रेजुएट और फिजीशिएन थीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन में भाषण देने का गौरव भी कादंबिनी गांगुली को ही प्राप्त है। 

2- वो पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में शिक्षा प्राप्त की थी। कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति देखकर इन्हें काफी धक्का लगा। इन्होंने उन महिलाओं के विकास के लिए बहुत काम किया। 

3- कादंबिनी बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। इनके पिता का नाम बृजकिशोर बासु था। 3 अक्टूबर 1923 को कोलकाता में कादम्बिनी गांगुली को मौत हो गई थी। 

4- कादंबिनी ने 1882 में कोलकाता विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। कोलकाता विश्वविद्यालय से 1886 में चिकित्सा शास्त्र की डिग्री लेने वाली भी वे पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद वो विदेश गई और ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियां प्राप्त कीं। 

5- कादंबिनी गांगुली के रूप में 19वीं सदी में ही भारत को पहली महिला डॉक्टर मिल गई थी। ब्रह्म समाज के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से कादंबिनी का विवाह हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादंबिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को बढावा दिया।

 

1- 18 जुलाई 1861 को बिहार के भागलपुर में जन्मी कादंबिनी गांगुली को भारत की पहली महिला फिजीशिएन कहा जाता है। वो ब्रिटिश भारत की पहली महिला ग्रेजुएट और फिजीशिएन थीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अधिवेशन में भाषण देने का गौरव भी कादंबिनी गांगुली को ही प्राप्त है। 

 

2- वो पहली दक्षिण एशियाई महिला थीं जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में शिक्षा प्राप्त की थी। कोयला खदानों में काम करने वाली महिलाओं की लचर स्थिति देखकर इन्हें काफी धक्का लगा। इन्होंने उन महिलाओं के विकास के लिए बहुत काम किया। 

 

3- कादंबिनी बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं से बहुत प्रभावित थीं। उनमें देशभक्ति की भावना बंकिमचन्द्र की रचनाओं से ही जागृत हुई थी। इनके पिता का नाम बृजकिशोर बासु था। 3 अक्टूबर 1923 को कोलकाता में कादम्बिनी गांगुली को मौत हो गई थी। 

 

4- कादंबिनी ने 1882 में कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। कोलकाता विश्वविद्यालय से 1886 में चिकित्सा शास्त्र की डिग्री लेने वाली भी वे पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद वो विदेश गई और ग्लासगो और ऐडिनबर्ग विश्वविद्यालयों से चिकित्सा की उच्च डिग्रियां प्राप्त कीं। 

 

5- कादंबिनी गांगुली के रूप में 19वीं सदी में ही भारत को पहली महिला डॉक्टर मिल गई थी। ब्रह्म समाज के नेता द्वारकानाथ गंगोपाध्याय से कादंबिनी का विवाह हुआ था। द्वारकानाथ महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए पहले से ही प्रयत्नशील थे। कादंबिनी इस क्षेत्र में भी उनकी सहायक सिद्ध हुईं। उन्होंने बालिकाओं के विद्यालय में गृह उद्योग स्थापित करने के कार्य को बढावा दिया।

 

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