शौर्य गान करते
गुजरात के कठियावाड में रहने वाले डाकू भूपत सिंह से अंग्रेज, राजा, महाराजा, नेता आदि सभी कांपते थे, जबकि एक आम आदमी, गरीब तबके के लोग उन्हें अपना मसीहा समझते थे। वह महिलाओं की इज्जत की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहे। कठियावाड और आसपास के क्षेत्रों में आज भी लोग डाकू भूपत सिंह का शौर्य गान करते हैं। भूपत सिंह के बारे में कहा जाता है कि इनकी लाइफ में दो घटनाएं ऐसी हुई जिनसे ये डाकू बन गए है। भूपत के जिगरी दोस्त और पारिवारिक रिश्ते से भाई राणा की बहन संग दुश्मनों ने रेप किया। इस मामले में जब राणा ने आवाज उठाई और बदला लेने के लिए पहुंचे तो राणा पर भी हमला कर दिया गया। भूपत ने राणा को तो बचा लिया लेकिन झूठी गवाहियों के चलते उन्हें जेल में डाल दिया गया। इसके बाद जब वह जेल से फरार हुए तो उनके अंदर एक नया भूपत था।
हवा से बात करते
बहादुर भूपत घोड़ों पर सवार होकर हवा से बात करते थे। वह साधारण पैदल भी इतनी तेज दौड़ाते थे कि अगर उस समय ओलंपिक विजेता भी उन्हें नहीं हरा सकता था। शायद इसीलिए कठियावाड में एक समय आया था, जब भूपत सिंह पूरे देश के राजा-रजवाड़ों और अंग्रजों के लिए मुसीबत बन गया। अंतिम समय तक भूपत सिंह को पकड़ने के लिए अंग्रेजों के पसीने छूट गए। भूपत सिंह दिल्ली की सरकार तक की नाक में दम कर रखा था। इस दौरान भूपत ने बड़ी संख्या में अंग्रेजों, महिलाओं पर अत्याचार करने वालों, लोगों को लूटने पीटने वालों को दुनिया से विदा कर दिया। धोखेबाज लोग भी भूपत को बिल्कुल पसंद नहीं थे। अंग्रेजी शासन समाप्त होने के बाद भारत सरकार भी भूपत को कभी पकड़ नहीं सकी।
गिरफ्तार कर लिया
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