सदानंद गौड़ा ने कहा था कि चार ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन्हें 30 साल से बजट में शमिल तो किया जा रहा है लेकिन पूरा नहीं किया जा सका है. आइए जाने कौन से हैं वो प्रोजेक्ट.
पहला प्रोजेक्ट से पहले पता चला कि रेलवे पूरी तरह दिवालिया है. उसे एक रुपया कमाने के लिए 94 पैसे खर्च करने पड़ते हैं. इस तरह नई परियोजनाओं के लिए सिर्फ 6 पैसे बचते हैं. 300 से अधिक अधूरी रेल परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उसे तुरंत कम से कम 1.7 लाख करोड़ रूपए की जरूरत है.
दूसरी बात पता चली कि पिछली सरकारों ने योजनायें तो बनायीं पर उन्हें पूरी करने में इंट्रेस्ट नहीं लिया. पिछले 30 साल में 676 प्रोजेक्ट के बारे में बताया गया 1,57,883 करोड़ की लागत आनी थी. इनमें से सिर्फ 317 पूरे हुए जबकि 359 फाइलों में ही बंद रह गए. अब अगर उन्हें पूरा करने की कोशिश की जाएगी तो करीब 1,82,000 करोड़ रूपए की जरूरत पड़ेगी.
तीसरा फैक्ट है कि भारतीय रेल के पतन की रफ्तार पिछले दशक में लगातार तेज हुई. पिछले दशक में 60,000 करोड़ की लागत से 99 नयी रेल लाइंस डालने की बात हुई और केवल एक का काम पूरा हुआ. इनमें भी 4 प्रोजेक्टस पिछले 30 साल से अटके हुए हैं. जिन्हें कभी एक तो कभी दूसरी वजह देकर पूरा करना क्या चालू करना भी टाला जाता रहा.
चौथा फक्ट है कि पिछले 10 साल में 3,738 किलामीटर रेल लाइन्स डालने के लिए 41,000 करोड़ इन्वेस्ट किए जबकि और 18,400 करोड़ रुपए 5,050 किलोमीटर रेलवे लाइन को डबल करने के नाम पर खर्च किए.
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