भारतीय मूल के कई प्रोफ़ेसर लीबिया के विश्वविद्यालयों में पढ़ाते हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.

नज़ीमुद्दीन के रिश्तेदार बशीर अहमद ने बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा को बताया, "मोहम्मद नज़ीमुद्दीन बेंगाजिया यूनीवर्सिटी में अंग्रेजी के प्राध्यापक थे. वो लीबिया में पिछले चार साल से थे."

उन्होंने बताया कि जानकारी के मुताबिक हत्यारों का मकसद  लूट करना था. नज़ीमुद्दीन ने शुक्रवार की रात करीब 10 बजे भारत में अपने रिश्तेदारों से फोन पर बात की और उसके करीब ढेड़ घंटे बाद यह दुर्घटना हो गई.

मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले प्रोफ़ेसर नज़ीमुद्दीन बेंगाजी में अकेले रहते थे.

माहौल हुआ खराब

इस मामले में  लीबिया की सरकार की ओर से अभी तक उनके परिवार को कोई जानकारी नहीं दी गई है, हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने उनके परिवार से बात की है.

बशीर अहमद ने बताया कि विदेश मंत्रालय में अधिकारी आनंद सिंह से बात की है और उन्हें कहा है कि वो इस मामले को देख रहे हैं.

लीबिया में प्राध्यापक रह चुकी अंजनी तिवारी ने बताया कि अभी तो वहां माहौल बहुत खराब है. लेकिन पहले भारतीयों की वहां बहुत इज्जत थी. लीबिया में हमने कभी लूट मार नहीं देखी थी. बहुत ही सुरक्षित था. हम 11 बजे रात में भी अपनी वेशभूषा में बहुत आराम से रह सकते थे.

उन्होंने बताया कि गद्दाफ़ी को अपदस्थ करने के बाद वहां माहौल तेज़ी से ख़राब हुआ है. अंजनी तिवारी 2011 में लीबिया से वापस आ गई थीं.

उन्होंने बताया, "अब वहां लोगों के पास हथियार होना आम बात हो गई है. वहां रहने वाले लोग बताते हैं कि कभी तो माहौल बहुत अच्छा हो जाता है और कभी एकदम से बिगड़ जाता है."

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