आइजोल (पीटीआई)। कीव में दो भारतीय नन मिशनरीज ऑफ चैरिटी के लिए काम कर रही हैं। इनमें सिस्टर रोजेला नुथांगी की उम्र 65 साल है जो आइजोल से लगभग 15 किमी उत्तर में सिहफिर गांव की हैं। दूसरी सिस्टर एन फ्रीडा जिनकी उम्र 48 साल है जो आइजोल के इलेक्ट्रिक वेंग इलाके की हैं। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि दोनो नन के साथ अन्य देशों की तीन सिस्टर्स भी वर्तमान में 37 बेघर यूक्रेनियन और कीव में स्टोर हाउस में केरल की एक छात्रा की देखभाल कर रही हैं। नन भोजन की कमी से हिलने-डुलने में भी असमर्थ हैं, लेकिन फिर भी वह वापस नहीं आना चाहती हैं।

सोमवार को हुई थी दोनो नन से बात

रोसेला की भांजी सिल्वीन जोथांसियामी ने पीटीआई से बात करते वक्त बताया कि उनकी मौसी और बहन फ्रिडा सुरक्षित और स्वस्थ हैं लेकिन भोजन की कमी के कगार पर हैं। सिल्वीन ने कहा कि उन्होंने सोमवार को मौसी और फ्रिडा से फोन पर बात की थी तब सिस्टर रोसेला ने बोला कि हम एक स्टोरहाउस में छिपे हुए हैं जहां से बाहर नहीं जाया जा सकता। अभी भी थोड़ा सा खाना बचा हुआ है। सिल्वीन ने जानकारी दी कि सिस्टर्स रोसेला और फ्रिडा 3 अन्य बहनों के साथ पैक्ड स्टोरहाउस के अंदर हैं, जहां वे 37 बेघर यूक्रेनियन और केरल के एक छात्र की देखभाल कर रही हैं। वैसे तो सिस्टर रोसेला पहले छिपकर जरुरत का सामान एकत्रित कर ले रहीं थी, लेकिन युद्ध और बमबारी की वजह से कमी का डर बढ़ गया है। केरल की छात्र के आने से उन्हें बहुत मदद मिली है क्योंकि वे अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके कॉल परिवार से बात कर पा रही हैं।

सेफ जगह जाने से किया इंकार

सिस्टर फ्रिडा के भाई रॉबर्ट लालहरुऐतलुंगा ने भी बताया कि सोमवार को बात करते समय उनकी बड़ी बहन ने उन्हें चिंता न करने के लिए कहा। सिस्टर्स रोसेला और फ्रिडा से जब किसी सेफ जगह जाने के लिए कहा तो उन्होंने साफ मना करते हुए यूक्रेन में रहने का फैसला किया। वह जिन शरणार्थियों और घायल लोगों साथ रह रहीं हैं उनकी सेवा जारी रखने के लिए उन्होंने अपनी जान जोखिम में डाल दी। रॉबर्ट ने सिस्टर फ्रीडा के हवाले से कहा, हमने यूक्रेन छोड़ने से इनकार कर दिया क्योंकि हर मौसम में जरूरतमंदों और बेघरों की सेवा करना हमारी प्राथमिक में से एक है। छठे नंबर की बहन हैं सिस्टर रोसेला

सिस्टर रोसेला 1981 में मिशनरीज ऑफ चैरिटी में शामिल हुई थी और 1991 में उन्हें पूर्व सोवियत संघ (USSR) में एक मिशनरी के रूप में भेजा गया। उन्होंने 10 सालों तक मास्को में काम किया। सिल्वीन ने बताया कि सिस्टर रोसेला 8 बहनों में से छठे नंबर की हैं। उन्हें रूसी भाषा में महारत हासिल है। 2013 में यूक्रेन जाने से पहले लातविया और एस्टोनिया सहित कई पूर्व सोवियत कंट्री में काम किया है। सिल्वीन की चाची यूएसएसआर में जाने के बाद से 2009 और 2015 में केवल दो मौकों पर ही अपने गांव लौटीं। वे आखरी बार मिजोरम उनके चचेरे भाई फादर अल्विन जोथानसंगा के समन्वय समारोह में शामिल होने के लिए आई थी, जिनकी 2020 में सीओवीआईडी-19 के कारण मृत्यु हो गई थी। रॉबर्ट के मुताबिक सिस्टर फ्रीडा 1995 में MoC में शामिल हुई थी और कुछ सालों तक भारत में काम करने के बाद लिथुआनिया, साइबेरिया और आर्मेनिया सहित कई देशों में एक मिशनरी के रूप में गई थी।

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