1. उमेश यादव :
भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव विदर्भ के पहले खिलाड़ी हैं, जो इंडिया टीम में खेलते हैं। उमेश किसी बड़े घराने से ताल्लुक नहीं रखते हैं। उनके पिता कोयले की खदान में काम करते थे। नागपुर के खापरखेड़ा गांव में उमेश यादव का बचपन बीता। उमेश यादव शुरुआत में टेनिस बॉल से क्रिकेट खेला करते थे। लेकिन धीरे-धीरे उनकी रुचि तेज गेंदबाजी में हुई। छोटे और गरीब परिवार में पले-बढ़े उमेश ने पुलिस में भर्ती होने के लिए फॉर्म भी भरा था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। आज उमेश भारतीय टीम के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक हैं।
2. वीरेंद्र सहवाग :
भारतीय टीम के विस्फोटक बल्लेबाज रहे वीरेंद्र सहवाग हरियाणा की जाट फैमिली से आते हैं। सहवाग के पिता गेंहू बेचा करते थे। सहवाग अपने 16 कजिन के साथ ज्वॉइंट फैमिली में रहते थे। सहवाग को क्रिकेट का शौक बचपन से ही था। सहवाग ने ऐसे कॉलेज में एडमिशन लिया था जहां क्रिकेट सिखाया जाता था। हालांकि यह इतना आसान न था क्योंकि सहवाग को क्रिकेट प्रैक्टिस करने के लिए रोजाना 84 किमी सफर करना पड़ता था।
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3. एमएस धोनी :
भारतीय टीम के सबसे सफल कप्तान एमएस धोनी किस तरह क्रिकेट स्टार बने, यह हम सभी उनकी फिल्म में देख ही चुके हैं। धोनी ने भारतीय टीम में जगह पाने के लिए काफी संघर्ष किया था। धोनी के पिता भी वॉटर पंप में एक छोटे से कर्मचारी थी। धोनी शुरुआत से ही पढ़ाई की जगह क्रिकेट खेलने पर ज्यादा ध्यान देते थे। यही वजह है कि स्पोर्ट्स कोटे से धोनी रेलवे में टीटीई पद पर तैनात हो गए। लेकिन फिर भी धोनी का क्रिकेट प्रेम कम नहीं हुआ उन्होंने रेलवे की नौकरी छोड़कर क्रिकेट पर फोकस किया और टीम इंडिया में जगह पक्की की।
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4. मोहम्मद शमी :
भारतीय टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहसपुर गांव में हुआ था। शमी के पिता भी क्रिकेट खेला करते थे लेकिन वह कभी नेशनल टीम में शामिल नहीं हो सके। ऐसे में मोहम्मद शमी भी अपने पिता की राह पर चलते हुए तेज गेंदबाज बनना चाहते थे। शमी ने अपने सपने पूरे करने के लिए जी-जान लगा दिया। हालांकि उनके गांव में क्रिकेट फैसेलिटी नहीं थी। न कोई मैदान फिर भी शमी एक बेहतर गेंदबाज बनकर उभरे।
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5. हरभजन सिंह :
भारतीय टीम में 'टर्बनेटर' नाम से मशहूर हरभजन सिंह को जब साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध भारतीय टीम में सेलेक्ट नहीं किया गया। तो वह काफी निराश हो गए थे। इसका मुख्य कारण यह भी था कि, उससे कुछ महीने पहले ही उनके पिता का निधन हो गया था। ऐसे में इकलौते बेटा होने के चलते घर को चलाने की जिम्मेदारी हरभजन पर आ गई। ऐसे में जब टीम में सेलेक्शन नहीं हो पाया तो भज्जी यूएस में ट्रक चलाने के लिए तैयार हो गए थे ताकि घर का खर्चा चल सके। लेकिन समय ने फिर करवट ली और बाद में हरभजन 'टर्बनेटर' बनकर पूरी दुनिया में छा गए।
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