50-80 करोड़ रुपये का टैक्स!
मिली जानकारी के मुताबिक इन मामलों में करीब 50-80 करोड़ रुपये की टैक्स देनदारी बनती है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डाइरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के अंडर काम कर रही फिनैंस मिनिस्ट्री की इंवेस्टिगेशन ब्रांच को पिछले फिनैंशियल इयर में कम से कम दो स्विस बैंकों की कांफिडेंशियल लिस्ट हाथ लगी. यह ऑफिशियल और अनऑफिशियल दोनों तरीकों से मिली थी. इसमें दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नै और चंडीगढ़ समेत कई दूसरे शहरों के 100 से ज्यादा अकाउंट होल्डर्स का जिक्र था. सीबीडीटी ने बाद में इनकम टैक्स के ऑफिस्रस को कहा कि वे शक के घेरे में खाताधारकों के साथ वे मोल-तोल करें. उन्हें कहा जाए कि उनसे टैक्स चोरी कानूनों के तहत टैक्स नहीं वसूला जाएगा. न ही उन्हें विलफुल टैक्स इवेडर्स की कैटेगरी में ही डाला जाएगा. बशर्ते वे अपने बैंकों में जमा धन का ब्योरा मांगे व भारतीय एजेंसी को सौंप दें. इन सभी ने स्विस बैंकों के साथ उसके नए सिस्टम पर सहमति जताई थी. इसके तहत ही स्विट्जरलैंड सरकार की ओर से ब्लैक मनी पर इंडिया को मदद देने की बात कही गई थी.

सुप्रीम कोर्ट में जमा की गई रिपोर्ट
मामले से जुड़े सोर्सेज ने बताया कि यह उन कुछ मामलों में से एक है जहां स्विस बैंकों के स्ट्रिक्ट कांफिडेंशियलिटी लॉ के बावजूद इंडियन कस्टमर्स के बैंक अकाउंट्स की जानकारी हासिल कर ली गई. ब्लैक मनी पर विशेष जांच दल एसआईटी के साथ काम कर रही एजेंसियों के साथ भी कुछ खास मामलों में रिपोर्ट साझा की गई है। इन मामलों को रिपोर्ट के फॉर्मैट में सुप्रीम कोर्ट को जमा किया गया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इन सभी मामलों में प्रॉसीक्यूशन शुरू कर दिया है. साथ ही उनके इनकम के सोर्स का भी पता लगाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. सोर्सेज ने बताया कि मौजूद नियमों के तहत जब इन अकाउंट होल्डर्स  के नाम स्विट्जरलैंड को भेजे गए तो वहां से कोई मदद नहीं मिली। स्विस सरकार एचएसबीसी सूची में दर्ज  इंडियन अकाउंट होल्डर्स के बारे में ब्योरा साझा करने से इंकार करती रही है। यह लिस्ट बैंक के एक एंप्लॉई ने चुरा ली थी. बाद में यह लिस्ट भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में पहुंच गई थी.

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