कानपुर। भारत बनाम साउथ अफ्रीका के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का पहला मैच विशाखापत्तनम में खेला गया। इस मैच में रोहित शर्मा को पहली बार टेस्ट में बतौर ओपनर भेजा गया और पहली ही पारी में हिटमैन ने 176 रन जड़ दिए। इससे पहले रोहित टेस्ट क्रिकेट में छठवें या सातवें नंबर पर आते थे। इस टेस्ट सीरीज में सबकी निगाहें रोहित शर्मा पर थीं। सफेद गेंद के खेल में दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज बन चुके रोहित विशाखापत्तनम टेस्ट से पहले सिर्फ 39.62 की औसत से रन बना पाए थे, जिसमें सिर्फ तीन शतक शामिल थे। टेस्ट में रोहित के ये आंकड़े उनकी प्रतिभा को जस्टिफाई नहीं कर पाते। मगर साउथ अफ्रीका के खिलाफ रोहित को जब बतौर ओपनर भेजा गया तो उन्होंने इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठाते हुए शतक जड़ दिया। इसी के साथ भारतीय टीम मैनेजमेंट को रोहित के रूप में टेस्ट में एक शानदार ओपनर मिल गया।
इन पांच खिलाड़ियों ने किया करिश्मा
रोहित से पहले टेस्ट क्रिकेट में 5 दिग्गज बल्लेबाज ऐसे हैं जिन्होंने भी टेस्ट में मिडिल ऑर्डर के रूप में करियर की शुरुआत की थी मगर एक बार उन्हें ओपनिंग का मौका दिया गया तो उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। देखिए कौन-कौन हैं इस लिस्ट में...
वीरेंद्र सहवाग
भारत के सबसे विस्फोटक सलामी बल्लेबाज रहे वीरेंद्र सहवाग ने भी अपने करियर का आगाज मिडिल ऑर्डर बैट्समैन के रूप में किया था। सहवाग ने शुरुआती पांच टेस्ट बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में खेले थे जिसमें उन्होंने 10 पारियों में सिर्फ 379 रन बनाए। इस दौरान वीरू का एवरेज 37.9 था। साल 2002 में तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने सहवाग से इंग्लैंड के खिलाफ ओपनिंग करने को कहा। ये मैच लाॅर्ड्स में खेला गया था। अपने इस ओपनिंग डेब्यू में सहवाग ने 84 रन की पारी खेल सबको प्रभावित कर दिया। इसके बाद हर कोई सहवाग की विस्फोटक बल्लेबाजी का कायल हो गया। वीरू ने बतौर ओपनर 170 पारियां खेली जिसमें 50 की ज्यादा औसत से 8207 रन बनाए। इसमें दो तिहरे शतक भी शामिल हैं।
साइमन कैटिच
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर साइमन कैटिच ने भी अपने टेस्ट करियर का आगाज मध्यक्रम बल्लेबाज के रूप में किया था। कैटिच ने साल 2001 में एशेज सीरीज में टेस्ट डेब्यू किया। उस वक्त कैटिच छठवें नंबर पर आते थे और बल्लेबाजी में कुछ खास नहीं कर पाए। चार साल तक वह टीम से अंदर-बाहर होते रहे। इसकी वजह थी उनकी खराब परफाॅर्मेंस, जिसका खामियाजा उन्हें 2005 में भुगतना पड़ा जब वह टीम से निकाल दिए गए। यही नहीं 2007 में उनका नेशनल कांट्रैक्ट भी रद कर दिया गया। कैटिच लौटकर घरेलू मैच खेलने गए जहां उन्होंने एक सीजन में रिकाॅर्ड 1506 रन बना दिए। जिसके बाद उनको ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए फिर काॅल आया मगर इस बार कैटिच को ओपनिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई और उन्होंने 61 पारियों में 50.47 की औसत से 2928 रन बनाए जबकि मिडिल ऑर्डर के रूप में कैटिच ने 38 पारियों में 36 की औसत से 1260 रन बनाए थे।
सनथ जयसूर्या
श्रीलंका के सबसे तूफानी बल्लेबाजों में शुमार सनथ जयसूर्या को भी पहले मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज माना जाता था। मगर साल 1993 में भारत के खिलाफ हीरो कप में जयसूर्या को ओपनिंग का मौका मिला तो उन्होंने खुद को इसमें आसानी से ढाल लिया। उस वक्त श्रीलंकाई कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने जयसूर्या को टेस्ट में भी ओपनिंग की जिम्मेदारी सौंपी मगर वह पहले मैच में सिर्फ 10 रन बना पाए, जिसके चलते एक साल के लिए उनकी टेस्ट टीम से छुट्टी हो गई। साल 1996 में वह वापस लौटे तो दुनिया ने एक विस्फोटक बल्लेबाज देखा। इसके बाद वनडे हो या टेस्ट, जयसूर्या की बैटिंग के आगे सभी गेंदबाज बेबस नजर आते थे। आंकड़ों पर नजर डालें तो जयसूर्या ने मध्यक्रम के रूप में 36 पारियां खेली जिसमें 33.58 की औसत से 1041 रन बनाए। जबकि ओपनर के रोल में जयसूर्या ने 152 पारियां खेलकर 41.48 की औसत से 5932 रन बनाए।
तिलकरत्ने दिलशान
श्रीलंकाई दिग्गज बल्लेबाज तिलकरत्ने दिलशान को टीम में इसलिए शामिल किया गया था कि वो मध्यक्रम संभालेंगे। मगर कभी पास-कभी फेल के चक्कर में दिलशान के रोल को चेंज किया गया। अपने 56वें टेस्ट में दिलशान को ओपनिंग के लिए भेजा गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ इस टेस्ट मैच में दिलशान ने पहली पारी में जहां 92 रन बनाए वहीं सेकेंड इनिंग में शतक जड़ा। यही नहीं उस साल दिलशान ने कुल 6 शतक ठोंके और 64.52 की औसत से 1327 रन बनाए। इसके बाद क्रिकेट जगत में दिलशान की पहचान एक बेहतरीन ओपनर के रूप में हो गई। बताते चलें दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने टेस्ट में बतौर मिडिल ऑर्डर 92 पारियों में 36 की औसत से 3322 रन बनाए। जबकि ओपनिंग करते हुए 53 पारियों में ही 42.54 की औसत से 2170 रन बना दिए।
विलफ्रेड रोड्स
पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर विलफ्रेड रोड्स ने अपने टेस्ट करियर का आगाज बतौर गेंदबाज शुरु किया था मगर बाद में वह ओपनिंग बल्लेबाज बने। रोड्स ने साल 1899 में टेस्ट डेब्यू किया था। वह लेफ्ट ऑर्म स्पिनर थे जोकि 10वें नंबर पर आकर बैटिंग करते थे। मगर इसके 13 साल बाद 1912 में जब उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बतौर ओपनर भेजा गया तो उन्होंने इतिहास रच दिया। रोड्स ने अपने पार्टनर होब्स के साथ मिलकर रिकाॅर्ड 323 रन की पार्टनरशिप की जिसका रिकाॅर्ड 36 साल तक कोई नहीं तोड़ पाया। करीब 30 साल तक क्रिकेट खेलने वाले रोड्स ने मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में 55 पारियां खेलीं जिसमें 23.13 की औसत से 856 रन बनाए जबकि बतौर ओपनर रोड्स के नाम 43 पारियों में 36.72 की औसत से 1469 रन दर्ज हैं।
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