कानपुर। भारत और इंग्लैंड के बीच बर्मिंघम में पहला टेस्ट मैच खेला जा रहा है। टेस्ट के पहले दिन इंग्लैंड ने 9 विकेट के नुकसान पर 285 रन बनाए। पहले दिन कई बार भारतीय टीम ने पिछड़ने के बाद मैच में वापसी की। इंग्लैंड ने बल्लेबाजी के लिए मददगार पिच पर खराब बल्लेबाजी कर भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया। मैच के पहले दिन भारतीय गेंदबाज पूरी तरह से हावी रहे। इंग्लैंड के कप्तान जो रूट (80) रन और जॉनी बेयरस्टो (70) रन के अलावा कोई भी इंग्लिश बल्लेबाज पिच पर ज्यादा देर टिक नहीं सका। भारत की तरफ से आर अश्विन सबसे कामयाब गेंदबाज रहे। अश्विन ने 25 ओवर की गेंदबाजी में 60 रन देकर 4 विकेट लिए। वहीं शमी को 2, इशांत और उमेश को 1-1 सफलता मिली।
स्पिनर्स का रहा है जलवा
इंग्लैंड जैसी तेज उछाल वाली पिचों पर भारतीय स्पिनर्स का जलवा हमेशा से रहा। ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, इंग्लैंड में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले टॉप 3 भारतीय गेंदबाज स्पिनर ही हैं। इस लिस्ट में सबसे ऊपर नाम भगवत चंद्रशेखर का है। चंद्रशेखर ने 23 मैचों में 95 विकेट अपने नाम किए हैं। दूसरे नंबर पर अनिल कुंबले हैं जिन्होंने 19 मैचों में 92 विकेट चटकाए थे। चंद्रशेखर को उनकी जादुई गेंदबाजी के लिए जाना जाता था। एक हाथ उनका पोलियो से ग्रसित था, उसके बावजूद वह ऐसी टॉप की स्पिन बॉलिंग करते थे कि बड़े-बड़े बल्लेबाज बोल्ड हो जाते थे। बीएस चंद्रशेखर ने सिर्फ भारत ही नहीं विदेशी पिचों पर भी खूब जलवा बिखेरा है। इंग्लैंड में भारत को पहली टेस्ट जीत दिलाने का श्रेय भी इस करिश्माई गेंदबाज को जाता है। चंद्रशेखर को मैच विनर गेंदबाज कहा जाता था। उन्होंने बहुत कम मैच खेलकर ज्यादा से ज्याद विकेट अपने नाम किए हैं।
6 साल की उम्र में हुआ था पोलियो
क्रिकइन्फो के मुताबिक, 17 मई 1945 को मैसूर में जन्में बीएस चंद्रशेखर जब 6 साल के थे तो उनके दाएं हाथ में पोलिया हो गया था। कई सालों तक वह इस बीमारी से जूझते रहे। मगर 10 साल की उम्र तक आते-आते चंद्रशेखर को क्रिकेट खेलने का कीड़ा लग चुका था। घरवालों को लगा कि एक हाथ में पोलिया होने के बाद चंद्रशेखर क्रिकेट कैसे खेलेंगे। मगर उन्होंने अपनी इस कमजोरी को ताकत बनाया। पिच पर जब वह गेंदबाजी करने उतरे तो पोलिया वाले हाथ से ऐसी गेंद घुमाई कि बल्लेबाज गच्चा खा गया। बस फिर क्या इसी खूबी के चलते चंद्रशेखर को भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल कर लिया गया।
विदेशी पिचों पर नचाया बल्लेबाजों को
चंद्रशेखर ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1964 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था। डेब्यू मैच में ही चंद्रशेखर ने 4 विकेट चटका दिए। उस वक्त इंग्लिश बल्लेबाजों को लगा कि भारतीय पिचों पर गेंद ज्यादा घूमती है, इसलिए चंद्रशेखर यहां सफल हुए। मगर इस गेंदबाज ने इंग्लैंड में जाकर भी यही करिश्मा दोहराया। 1971 में भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी। यहां भारत को टेस्ट सीरीज खेलनी थी। एक मैच ओवल में खेला गया। यहां चंद्रशेखर ने 38 रन देकर 6 इंग्लिश बल्लेबाजों को आउट किया। इस जबरदस्त प्रदर्शन के दम पर भारत पहली बार इंग्लैंड में कोई मैच जीता था।
ऐसा है टेस्ट करियर
दाएं हाथ के लेग स्पिनर चंद्रशेखर ने करीब 15 साल तक टेस्ट क्रिकेट खेला। हालांकि इस दौरान उन्हें सिर्फ 58 टेस्ट मैच खेलने को मिले जिसमें उन्होंने 2.7 की इकॉनमी से 242 विकेट चटकाए। फर्स्ट क्लॉस क्रिकेट की बात करें तो चंद्रशेखर अन्य गेंदबाजों से काफी आगे हैं। 246 मैचों में उनके नाम 1063 विकेट दर्ज हैं।
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