कानपुर। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज का आखिरी टेस्ट खेलने उतरी विराट सेना यह मैच जीत पाएगी या नहीं, यह तो वक्त बताएगा। मगर आज से 15 साल पहले इसी मैदान पर दोनों टीमों के बीच एक ऐसा टेस्ट खेला गया जिसमें एक बल्लेबाज फ्लाॅप से सुपरस्टार बन गया। जी हां हम बात कर रहे क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर की। सचिन भले ही महान बल्लेबाजों में शुमार रहे लेकिन एक वक्त ऐसा आया था जब उनके बल्ले से भी रन नहीं निकले। बात 2003-04 की है। उस वक्त टीम इंडिया चार मैचों की टेस्ट सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया गई थी। सीरीज के शुरुआती तीन मैचों में सचिन बल्ले से पूरी तरह फ्लाॅप रहे। पिछली पांच पारियों में उन्होंने क्रमशः 0, 1, 37, 0 और 44 रन बनाए थे। आखिरी मैच 2 जनवरी से सिडनी में शुरु होना था। इस मैच में सचिन पर काफी दबाव था। उन्हें अपने नाम के अनुरूप प्रदर्शन करना था।
सचिन ने खेली करियर की दूसरी बेस्ट पारी
मैच शुरु हुआ, तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने टाॅस जीतकर पहले बैटिंग का निर्णय लिया। शुरुआती चार भारतीय बल्लेबाजों में कोई भी बड़ी पारी नहीं खेल पाया। अब बारी थी सचिन तेंदुलकर की। इससे पहले मैचों में कंगारु गेंदबाज सचिन को सस्ते में समेट चुके थे मगर अबकी बार सचिन ऑस्ट्रेलियाई पेसर्स पर हावी हो चुके थे। तेंदुलकर ने सीरीज में फ्लाॅप का धाग भी धोया। उस दिन कंगारु गेंदबाज पूरे दिन बल्लेबाजी करके थक गए मगर सचिन को कोई आउट नहीं कर पाया। सचिन ने नाबाद 241 रन की पारी खेली, यह उनके टेस्ट करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। तेंदुलकर के दोहरे शतक और वीवीएस लक्ष्मण के 178 रन की बदौलत भारत ने पहली पारी 7 विकेट पर 705 रन पर घोषित की।
मैच हो गया ड्राॅ
टीम इंडिया द्वारा पहली पारी में पहाड़ जैसा स्कोर बनाने के बाद मेजबान कंगारु जवाब में 474 रन पर सिमट गए। इसके बाद दूसरी इनिंग भारत ने 2 विकेट पर 211 रन पर डिक्लेयर कर दी। आखिरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 443 रन बनाने थे, हालांकि कंगारु बल्लेबाज जब तक लक्ष्य तक पहुंचते पांच दिन का खेल खत्म हो चुका था। ऑस्ट्रेलिया 87 रन से पीछे रह गया और मैच ड्राॅ हो गया।
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