यह 4 चर्चित मामले
(1) गुंटूर, आंध्र प्रदेश :- तेल माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद करना एक तेलुगु पत्रकार को मंहगा पड़ गया। तेल के इस अवैध धंधे को पत्रकारिता के माध्यम से उजागर करना शायद इन माफियाओं को पसंद नहीं आया। खबर सामने आने के बाद धंधे पर असर पड़ते देख माफियाओं ने पत्रकार को ही जिंदा जला दिया। तेलुगु डेली 'Andhra Prabha' में काम करने वाले सीनियर जर्नलिस्ट एम.शंकर जब ऑफिस से घर लौट रहे थे, तो रास्ते में ही अचानक उनके ऊपर हमला हो गया। जिसके बाद हॉस्िपटल में एडमिट कराने के बाद उनकी मौत हो गई थी।
(2) शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश :- सपा सरकार में मंत्री के अवैध खनन कारोबार को रोकना एक पत्रकार के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया। मंत्री द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर पत्रकार जगेंद्र की हत्या कर दी गई। बताया जाता है कि, यूपी के डेयरी विकास मंत्री राम मूर्ति वर्मा के कहने कुछ स्थानीय पुलिसवालों ने जगेंद्र को जिंदा जला दिया था। यह घटना 1 जून 2015 की है, और उसके सात दिन बाद 8 जून 2015 को जगेंद्र की मौत हो गई।
(3) पीलीभीत, उत्तर प्रदेश :- जून में ही भूमि विवाद को उजागर करने पर टीवी पत्रकार के साथ मारपीट का मामला सामने आया था। पत्रकार हैदर खान के मुताबिक, वह अपनी बाइक से घर लौट रहा था, तभी अचानक कुछ लोग आए और उसे पीटने लगे। इस मारपीट में हैदर को काफी गंभीर चोटें आईं थीं। बताया जाता है कि, हैदर ने एक स्थानीय दंबग व्यक्ित के जमीनी विवाद को लेकर खबरें बनाईं थी, जिसके कारण उस पर हमला हुआ। वैसे इस हमले में हैदर की जान तो बच गई, लेकिन कलम की आजदी को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए।
(4) झबुआ, मध्यप्रदेश :- देश के सबसे बड़े घोटाले में शुमार व्यापंम घोटाले की गुत्थी लगातार उलझती जा रही है। जहां एक ओर इसमें शामिल आरोपियों की मौत का रहस्य बना हुआ था। वहीं अब इस खबर को कवर कर रहे आज तक चैनल के कोरेसपोडेंट जर्नलिस्ट अक्षय सिंह की मौत ने मामले में नया मोड़ ले लिया। बताया जाता है कि, अक्षय व्यापंम स्कैम की अच्छी तरह से जांच-पड़ताल कर रहे थे। वह इस स्कैम के आरोपी नम्रता दमोर की मौत की छानबीन करने उनके घर पहुंचे थे, जहां अक्षय की रहस्यमयी परिस्िथतियों में मौत हो गई। फिलहाल इस मामले की जांच-पड़ताल जारी है। लेकिन एक और पत्रकार की मौत ने लोकतंत्र पर सवालिया निशान खड़े करने शुरु कर दिए।
2014 में कुल 71 पत्रकारों की मौत
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत को पत्रकारों के लिए 5 सबसे खतरनाक देशों में शुमार किया जाता है। साल 2014 में पूरी दुनिया में करीब 71 पत्रकारों की मौत हुई थी। जिसमें कि, सीरिया में 10, भारत में 8, फिलिपींस में 8, सोमालिया में 7 और पाकिस्तान में भी 7 पत्रकारे मारे जा चुके हैं। वहीं अन्य देशों को मिलकार कुल 31 पत्रकार मौत के आगोश में समा गए। इन आंकड़ों पर नजर डालें, तो पत्रकारों की सुरक्षा के मामले में भारत की हालात पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी खराब है।
कलम की कहां-कितनी आजादी
भारत में पत्रकारों की जान कितनी सेफ है, यह कहना तो मुश्किल है। दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाला भारत देश इस मामले में काफी पीछे रह गया है। कलम की आजादी की बात करें, तो भारत 140वें नंबर पर आता है। जबकि आंतकवादियों का गढ़ अफगानिस्तान 128वें नंबर पर है। वहीं अमेरिका 46, जापान 59, साउथ कोरिया 57, यूएई 118, इंडोनेशिया 132 और चीन 175वें नंबर पर आता है। आइए देखें यह लिस्ट :-
10 सबसे खतरनाक देश :-
(1) Eritrea
(2) Democratic People's Republic of Korea
(3) Turkmenistan
(4) Syrian Arab Republic
(5) China
(6) Vietnam
(7) Sudan
(8) Islamic Republic of Iran
(9) Somalia
(10) Lao People's Democratic Republic
10 सबसे सुरक्षित देश :-
(1) Finland
(2) Norway
(3) Denmark
(4) Netherlands
(5) Sweden
(6) New Zealand
(7) Austria
(8) Canada
(9) Jamaica
(10) Estonia
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