दोनों देशों के संबंधों को लंबे समय के आधार पर तय करने की जरूरत
लंदन (पीटीआई)। ब्रिटेन सरकार की उदार वीजा नीति से भारतीय छात्रों को बाहर किए जाने के मसले पर भारत ने सवाल पूछा है कि इसे एमओयू साइन न करने से क्यों जोड़ा जा रहा है? बकिंघमशायर में आयोजित दो दिवसीय यूके-इंडिया लीडरशिप कान्क्लेव में ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त वाईके सिन्हा ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों को लंबे समय के आधार पर तय करने की जरूरत है। उनका कहना था कि इस साल मध्य अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा से पहले भारतीय कैबिनेट ने ब्रिटेन से अवैध प्रवासियों की स्वदेश वापसी को लेकर समझौते पर मुहर लगा दी थी।
37180 वीजा भारतीय मूल के लोगों को जारी हुए
इस दौरे पर करीब 25 समझौते होने थे। भारत ने अंतिम समय में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था, क्योंकि विदेश मंत्रालय ने आपत्ति दर्ज कराई थी कि भारतीय एजेंसियों को बिना दस्तावेज वाले प्रवासियों के सत्यापन के लिए 15 दिन का ही समय मिला। सिन्हा ने कहा कि वह मानते हैं कि अवैध तौर पर भारतीय छात्र के ब्रिटेन में रहने की बात सच है, लेकिन जो आंकड़े ब्रिटिश सरकार ने दिए वो कहां से आए। ब्रिटेन कह रहा है कि उसके यहां एक लाख भारतीय छात्र अवैध तौर पर रह रहे हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए सिन्हा ने कहा कि 2016-17 के दौरान 337180 वीजा भारतीय मूल के लोगों को जारी हुए, जिनमें से 97 प्रतिशत को वापस उनके वतन भेज दिया गया।
वापस बुला लिया जाएगा अवैध तौर पर रह रहे छात्र भारतीय को
उनका कहना था कि जब एक बार यह साबित हो जाएगा कि अवैध तौर पर रह रहे छात्र भारतीय हैं तो उन्हें वापस बुला लिया जाएगा, लेकिन फिलहाल हमें इस विवाद से दूर रहना चाहिए। स्टूडेंट वीजा एक अहम मामला है पर दोनों देशों के रिश्तों में और भी बहुत सारे पहलू हैं, जिन्हें देखा जाना चाहिए। ध्यान रहे कि ब्रिटेन की सरकार ने उदार वीजा नीति से भारतीय छात्रों को बाहर किए जाने का कारण स्पष्ट किया है। उसने इसे भारत के उस कदम से जोड़ा है जिसमें भारत ने अंतिम समय में अवैध प्रवासियों की वापसी को लेकर समझौता करने से मना कर दिया था।
सूची में 25 देशों को शामिल किया
ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय कारोबार मंत्री लिआम फॉक्स ने कहा कि भारत को उन देशों की नई सूची से बाहर कर दिया गया है जिनके छात्र ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए वीजा आवेदन प्रक्रिया में राहत पा सकते हैं। इस सूची से भारत को बाहर किए जाने की वजह अवैध भारतीय प्रवासियों का अनसुलझा मामला है। सूची में चीन, मालदीव, मेक्सिको और बहरीन समेत 25 देशों को शामिल किया गया है।
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