भारत ने चाइल्डं एजुकेशन के डायरेक्शन में शानदार प्रगति की है. यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2000 से 2012 के बीच भारत में स्कूल न जाने वाले बच्चों की तादात में 1.6 करोड़ तक की कमी आई है. हालांकि अब भी यहां 14 लाख बच्चे ऐसे हैं जो बेसिक स्कूल नहीं जाते. रिपोर्ट के अकॉर्डिंग स्कूल न जाने वाले बच्चों के नंबर्स में सबसे अधिक कमी साउथ एशिया में आई है. यहां 2000 से 2012 के बीच ऐसे बच्चों की संख्या में लगभग 2.3 करोड़ की कमी आई. यह जानकारी यूनेस्को और यूनिसेफ की तैयार की गयी ज्वाइंट रिपोर्ट ‘फिक्सिंग द ब्रोकन प्रॉमिस ऑफ एजुकेशन फॉर ऑल : फाइंडिंग्स फ्रॉम द ग्लोबल इनीशिएटिव ऑन आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रन’ में दी गई है.
रिपोर्ट के हिसाब से 42 देश ऐसे थे, जो 2000 और 2012 के बीच प्राइमरी क्लासेज में स्कूल न जा पाने वाले बच्चों की संख्या को आधे से भी ज्यादा कम करने सफल रहे. इनमें अल्जीरिया, बुरुंडी, कंबोडिया, घाना, भारत, ईरान, मोरक्को, नेपाल, मोजांबिक, निकारागुआ, रवांडा, वियतनाम, यमन और जांबिया शामिल हैं. हालांकि कई देशों के इतना इंप्रेसिवली इंप्रूव करने के बावजूद 2012 में दुनिया भर में प्राइमरी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों की उम्र के लगभग नौ परसेंट बच्चे ऐसे थे जो स्कूल नहीं जाते थे. इनमें लडक़ों के नंबर्स इस उम्र के लडक़ों के टोटल नंबर्स का आठ परसेंट था, और लड़कियों के नंबर इस उम्र की लड़कियों के टोटल नंबर का 10 परसेंट था. स्कूल न जाने वाले बच्चों का टोटल नंबर 5.8 करोड़ था और इसमें 3.1 करोड़ लड़कियां थीं.
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