संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, "भारत में प्राथमिक शिक्षा पाने के योग्य एक तिहाई बच्चे ही चौथी कक्षा तक पहुँच पाते हैं और बुनियादी शिक्षा ले पाते हैं. वहीं एक तिहाई अन्य बच्चे चौथी कक्षा तक तो पहुँचते हैं लेकिन वो बुनियादी शिक्षा नहीं ले पाते. जबकि एक तिहाई बच्चे न तो चौथी कक्षा तक पहुंच पाते हैं और न ही बुनियादी शिक्षा हासिल कर पाते हैं."
इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के आधे से भी कम बच्चों को बुनियादी शिक्षा हासिल हो पाती है.
यूनेस्को की इस रिपोर्ट में यह रेखांकित किया गया है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में शिक्षा के लिए आबंटित राशि में काफी भिन्नता है.
उदाहरण के लिए, केरल में शिक्षा पर 42548.78 रुपए, हिमाचल प्रदेश में 33666.33 रुपए, पश्चिम बंगाल में 7888.61 रुपए और बिहार में 6211.50 रुपए प्रति विद्यार्थी प्रति वर्ष खर्च किया जा रहा है.
निरक्षर वयस्क
यूनेस्को के मुताबिक भारत में दुनिया के एक तिहाई निरक्षर बुज़ुर्ग हैं.
रिपोर्ट के अनुसार भारत में शिक्षा पर तय रकम से काफी कम खर्च किया जा रहा है. खर्च में की गई इस कटौती से बच्चों की शिक्षा में विकास लाने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का मकसद कहीं पीछे छूट जाएगा.
भारत में दुनिया भर के 37 फीसदी ऐसे वयस्क हैं जो कभी स्कूल गए ही नहीं. भारत में इन निरक्षर वयस्कों की संख्या करीब 28 करोड़ 70 लाख है.
यूनेस्को की महानिदेशक इरिना बोकोवा ने रिपोर्ट में लिखा है, “2008 में ईएफए ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट में सवाल उठाया गया था कि क्या हम वर्ष 2015 तक सब के लिए शिक्षा का लक्ष्य पूरा कर पाएंगे? आज जब केवल दो साल रह गए हैं तो जवाब साफ है, नहीं, हम ये लक्ष्य पूरा नहीं कर पाएंगे.”
रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि स्कूल जा रहे बच्चों का बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसे बुनियादी शिक्षा भी नहीं मिल रही है. वैश्विक शिक्षा से जुड़े इस संकट के कारण दुनिया के अलग-अलग देशों की सरकारों पर कुल 129 अरब डॉलर का बोझ आ पड़ा है.
आर्थिक मंदी
"साल 2015 तक दुनिया में 'सबके लिए शिक्षा' का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनेस्को के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से है. लेकिन यह लक्ष्य पूरा होता नज़र नहीं आ रहा क्योंकि अभी भी लाखों बच्चे और वयस्क स्कूल से दूर हैं."
-यूनेस्को रिपोर्ट
यूनेस्को का कहना है कि 'सबके लिए शिक्षा' के लक्ष्य को पूरा करने में वैश्विक आर्थिक मंदी के साथ-साथ जो सबसे बड़ी रुकावट पेश आ रही है वह है धन की कमी. यह कमी अब 26 अरब डॉलर की सीमा तक पहुंच चुकी है.
एजेंसी के पास शिक्षा सहयोग से जुड़े वर्ष 2011 तक के जो आंकड़े उपलब्ध हैं उनसे पता चलता है कि कम विकसित देशों में वैश्विक शिक्षा पर साल 2009 और 2010 में एक बराबर ही रकम खर्च की गई. यानी खर्च की गई राशि प्रत्येक साल 14.4 अरब डॉलर ही रही. बाद के वर्षों में यह रकम और कम होती चली गई.
ईएफए से जुड़ी वर्ष 2013-2014 की रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2010-2011 के बीच शिक्षा पर खर्च एक अरब डॉलर घट गया.
इन हालातों पर चिंता जाहिर करते हुए संयुक्त राष्ट्र संस्था ने भारत सहित कई देशों को ये सलाह दी है कि वे अपनी कर व्यवस्था में सुधार लाएं ताकि शिक्षा में विकास के लिए अधिक धन उपलब्ध हो सके.
सबसे कम खर्च बिहार में
यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मध्यम आय वाले देश जैसे मिस्र, भारत और फिलीपींस में दूसरे देशों के मुकाबले करों में सुधार करते हुए घरेलू संसाधन जुटाने की बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं.
रिपोर्ट के अनुसार भारत में बेहद गरीब घरों की लड़कियों को शिक्षित करने का लक्ष्य वर्ष 2080 तक पूरा होगा.
साल 2015 तक दुनिया में 'सबके लिए शिक्षा' का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनेस्को के सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से है. लेकिन यह लक्ष्य पूरा होता नज़र नहीं आ रहा क्योंकि अभी भी लाखों बच्चे और वयस्क स्कूल से दूर हैं.
यूनेस्को के 'सबके लिए शिक्षा' (ईएफए) से जुड़ी ग्लोबल मॉनिटरिंग रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि भारत मेंअनपढ़ वयस्कों की संख्या सबसे ज्यादा है.
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