चंडीगढ़ (पीटीआई)। भारत के सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार को चंडीगढ़ के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले दो सप्ताह से अधिक समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। मोहाली के फोर्टिस अस्पताल के डायरेक्टर अभिजीत सिंह ने बताया, 'आज सुबह लगभग 6:30 बजे उनकी मृत्यु हो गई। वह 8 मई से यहां भर्ती थे।' इसके बाद बलबीर सिंह के नाती कबीर ने एक मैसेज में बताया कि, 'आज सुबह नानाजी का निधन हो गया।"
काफी समय से चल रहे थे बीमार
बलबीर सिंह काफी समय से वेंटीलेटर पर थे और लगभग बेहोशी की अवस्था में थे। उनके दिमाग में रक्त का थक्का जम गया था। तीन बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रहे बलबीर सिंह की उम्र 96 साल है। उन्हें पिछले हफ्ते लगातार तीन हार्ट अटैक आने से अस्पताल में एडमिट कराया गया था। बलबीर को 8 मई को तेज बुखार के साथ मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पिछले साल जनवरी में, उन्हें अस्पताल में 108 दिन बिताने के बाद पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ से छुट्टी दे दी गई थी जहाँ उन्होंने ब्रोन्कियल निमोनिया का इलाज करवाया। मगर आखिर में वह जिंदगी से जंग हार गए और दुनिया को अलविदा कह गए।
हाॅकी के दिग्गज थे बलबीर
देश के महानतम एथलीटों में से एक, बलबीर सिंह आधुनिक ओलंपिक इतिहास में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए 16 दिग्गजों में से एकमात्र भारतीय थे। ओलंपिक के पुरुष हॉकी फाइनल में एक व्यक्ति द्वारा बनाए गए अधिकांश गोलों के लिए उनका विश्व रिकॉर्ड अभी भी बरकरार है। उन्होंने 1952 के हेलसिंकी खेलों के स्वर्ण पदक मैच में नीदरलैंड पर भारत की 6-1 की जीत में पांच गोल किए थे। उन्हें 1957 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
तीन बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट
बलबीर सिंह ने तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता। पहली बार ओलंपिक स्वर्ण पदक लंदन (1948), दूसरा हेलसिंकी (1952) में उप-कप्तान रहते हुए और तीसरा मेलबर्न (1956) में कप्तान रहते हुए स्वर्ण तमगा हासिल किया। वह 1975 में भारत की विश्व कप विजेता टीम के प्रबंधक भी थे।